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संरा के संघर्ष विराम के प्रस्ताव पर भारत का कदम दुखद: फारुक अब्दुल्ला

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को इजरायल-हमास युद्व पर तत्काल मानवीय संघर्ष विराम के आह्वान के लिए संयुक्त राष्ट्र (संरा) के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने के भारत के कदम को ‘दुखद’ बताया। श्री अब्दुल्ला ने श्रीनगर में मुख्यधारा की कुछ क्षेत्रीय पार्टियों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यह बात कही।

मध्य पूर्व में चल रहे संकट पर आज श्रीनगर में हुई आपात बैठक में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता एम यूसुफ तारिगामी ने भी हिस्सा लिया। श्री अब्दुल्ला ने कहा,“यह खेदजनक है कि भारत सरकार युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से दूर रही।

भारत सरकार को अपना दृष्टिकोण सामने रखना चाहिए था और शांति की वापसी की आवश्यकता पर जोर देना चाहिए था।” उन्होंने कहा कि जब भारत यूक्रेन के बारे में बात कर सकता है तो फिलिस्तीन के बारे में भी बात करना देश के लिए जरूरी है। उन्होंने विश्व नेताओं से इस युद्ध को समाप्त करने की अपील करते हुए कहा,“जिस तरह से हत्याएं हुई हैं, इस क्रूरता का कोई उदाहरण नहीं है और यहां तक कि बच्चों को भी नहीं बख्शा गया है।

उन्होंने गाजा को मलबे में बदल कर समतल कर दिया है, लोगों के लिए कोई दवाएँ और अन्य आवश्यक वस्तुएँ नहीं हैं।” श्री अब्दुल्ला ने कहा कि भारत को इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए और फिलिस्तीन में युद्ध खत्म करने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने गाजा को सहायता भेजने के लिए प्रधानमंत्री के कदम का स्वागत करते हुए कहा, “महात्मा गांधी के राष्ट्र को बोलने की जरूरत है।”

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