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जम्मू-कश्मीर के बारहमासी हाईवे से होगा आमूलचूल बदलाव - Dainik Savera Times | Hindi News Portal
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जम्मू-कश्मीर के बारहमासी हाईवे से होगा आमूलचूल बदलाव

जम्मू: जम्मू-कश्मीर सरकार ने लोगों को रोजमर्रा की परेशानियों से निजात दिलाने के लिए बुनियादी ढांचों पर तेजी से काम करने और राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रशासित प्रदेश के विकासात्मक मापदंडों में सुधार लाने के उद्देश्य से कई पहल की है।राजधानी शहरों जम्मू और श्रीनगर के बीच कनेक्टिविटी पर जोर है। कश्मीर घाटी में सभी सामान.

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जम्मू: जम्मू-कश्मीर सरकार ने लोगों को रोजमर्रा की परेशानियों से निजात दिलाने के लिए बुनियादी ढांचों पर तेजी से काम करने और राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रशासित प्रदेश के विकासात्मक मापदंडों में सुधार लाने के उद्देश्य से कई पहल की है।राजधानी शहरों जम्मू और श्रीनगर के बीच कनेक्टिविटी पर जोर है। कश्मीर घाटी में सभी सामान जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से जाते हैं दोनों क्षेत्रों के बीच प्रमुख सड़क और कश्मीर की जीवन रेखा है। घाटी से फलों को ले जाने वाले ट्रक इसी सड़क से होकर जम्मू जाते हैं।

लेकिन, सर्दियों के दौरान हिमपात और भूस्खलन के कारण राजमार्ग अक्सर बंद हो जाता है। यह जल्द ही बीते दिनों की बात हो सकती है।जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को बारहमासी सड़क के रूप में बनाने और विकसित करने के लिए काम पूरी गति से चल रहा है। जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्र को आसान बनाने के लिए 35,000 करोड़ रुपये की लागत से तीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं।250 किमी लंबाई की यह चार लेन सड़क 16,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है। इसमें से 210 किमी के रूट को 4 लेन का बनाने का काम पूरा कर लिया गया है। इमसें कुल 21.5 किमी लंबाई की 10 सुरंगें भी शामिल हैं।

इस क्षेत्र में संभावित भूस्खलन पर काबू पाने के लिए भू-तकनीकी और भूवैज्ञानिक जांच के आधार पर इस सड़क को 4 लेन का डिजाइन किया गया है।जम्मू और श्रीनगर के बीच यात्र को सुरक्षित और सुचारू बनाने के लिए क्रैश बैरियर और अन्य सड़क सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं।इस मार्ग के बनने से जम्मू और श्रीनगर के बीच हर मौसम में संपर्क बना रहेगा और श्रीनगर से जम्मू की यात्र का समय 9-10 घंटे से घटकर 4-5 घंटे रह जाएगा।एक बार राजमार्ग पर निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद यह विकास के लिए एक प्रमुख वाहक और बदलावकारी होगा, जो इस केंद्रशासित प्रदेश के दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों को एक-दूसरे के करीब लाने में मदद करेगा।

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