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जम्मू-कश्मीर इकाई ने डोगरा बोली, कला सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखने और बढ़ावा देने की मांग की

जम्मू: पार्टी प्रदेश मध्यवर्ती कार्यालय में आज आयोजित एक प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रमुख मनीष साहनी ने कहा कि डोगरा रियासत , जम्मू कश्मीर में कश्मीरी हुक्मरानों के शासन के दौरान डोगरी बोली , कला , पहचान के साथ शुरू हुआ हुआ सौतेला व्यवहार आज भी बदस्तूर जारी है। फिल्म निर्माताओं के लिए पसंदीदा गणतवय होने के बावजूद स्थानीय फिल्म उद्योग को कामयाबी के पर नहीं लग पा रहे ।

पहली डोगरी फिल्म “गल्लां होइयाँ बीतियाँ”

सितंबर 1966 में रिलीज हुई थी, 59 साल के सफर में अब तक महज दर्जनभर डोगरी फिल्में ही बड़े पर्दे पर रिलीज हुई हैं। डोगरी फिल्म उद्योग में सबसे बड़ी समस्या वित्तीय सहायता व दशकों की कमी है। वहीं, डोगरी फिल्म निर्माताओं को अक्सर सिनेमाघर न मिलने का मलाल रहता है। इसके साथ ही स्थानीय कला, संस्कृति को जीवित रखने और क्षेत्रीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने का सबसे आसान और महत्वपूर्ण माध्यम कहे जाने वाले जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण लगातार घटता जा रहा है।

साहनी ने 24X7 डुग्गर चैनल के प्रसारण , डोगरी फिल्मों के लिए विशेष वित्तीय सहायता , फिल्म नीति में स्थानीय भाषाओं के लिए सब्सिडी की शर्तों में ढील के साथ सिनेमाघरों को डोगरी फिल्म रिलीज होने पर दो सप्ताह तक कम से कम एक शो दिखाने के निर्देश जारी करने तथा डोगरी भाषा के प्रचार-प्रसार के साथ स्कूलों में डोगरी विषय को अनिवार्य बनाने की मांग की है। इसके साथ‌ ही स्थानीय लोगों घर व व्यवसाय कार्यालयों में डोगरी में आपसी बातचीत करने की अपील की है। इस मौके पर महासचिव विकास बख्शी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव कोहली, अशोक कुमार उपस्थित थे।

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