जम्मूः जम्मू-कश्मीर की शीतकालीन राजधानी जम्मू में कुम्हारों ने दिवाली के लिए पर्यावरण अनुकूल मिट्टी के दीये बनाना शुरू कर दिया है। जम्मू शहर के केंद्र बस-स्टैंड क्षेत्र में कुम्हार धर्मवीर और उनका परिवार दीये तैयार करने के काम में जोर-शोर से लगा हुआ है। उन्होंने अपने पहले ऑर्डर के लिए 3 हजार दीये बनाना शुरू कर दिया है। धर्मवीर ने कहा, कि ‘एक साथ कई त्योहार आने वाले हैं। हमने करवा चौथ के लिए भी मिट्टी के बर्तन तैयार किए हैं और कुछ ही दिनों में दिवाली आ जाएगी। हमने मिट्टी के दीये तैयार करना शुरू कर दिया है। सभी आकार के – छोटे, मध्यम और बड़े दिये तैयार किये जा रहे हैं।’’
झुग्गी में रहने वाले धर्मवीर का पूरा परिवार पीढ़ियाें से यह काम कर रहा है। धर्मवीर ने कहा, कि ‘बहुत कम मेहनताना मिलने के बावजूद हम इस पारिवारिक काम को जारी रखे हुए हैं। जबकि अधिकांश कुम्हारों ने इस काम को छोड़ दिया है, हम इसे जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह हमारा पुश्तैनी काम है।’’ उनके परिवार को विभिन्न दुकानों और इकाइयों से अलग-अलग आकार के तीन हजार से अधिक दीये के ऑर्डर मिले हैं। उन्होंने कहा, कि ‘हम विभिन्न लोगों को दीये की आपूर्ति करते हैं। यह काफी मेहनत वाला काम है। चीनी वस्तुएं मशीनों से बनाई जाती हैं, लेकिन यहां हम मिट्टी से तैयार करते हैं। दीयों के लिए सबसे अच्छी मिट्टी ढूंढना ही सबसे चुनौतीपूर्ण होता है।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें अच्छे मुनाफे की उम्मीद है, क्योंकि अब लोग दिवाली के मौके पर मिट्टी के दीयों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं। उनका बेटा, पत्नी और मां भी ऑर्डर को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। धर्मवीर ने बताया कि बाजार में चीनी उत्पादों की मांग रहती थी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों से, दिवाली पर मिट्टी के दीये फिर से उपयोग में आने लगे हैं। लोग मिट्टी से बनी वस्तुओं के लाभों के बारे में जागरूक हो गए हैं और उन्हें फिर खरीदने लगे हैं।’’
धर्मवीर ने कहा, कि ‘मिट्टी के बर्तन बनाने की परंपरा भारत के सबसे पुराने शिल्पों में से एक है। पीढिय़ों से लोग दिवाली के दिन अपने घरों को मिट्टी के दीयों से रोशन करते रहे हैं। नाम से ही जाहिर है दीया दिवाली से संबंधित है। दिवाली साल का वह दिन है जब मिट्टी के दीये खरीदे जाते हैं। यही संदेश ये कुम्हार आम लोगों को दे रहे हैं।’’