नई दिल्ली: दुनिया में जनवरी 2024 का महीना रिकॉर्ड में दर्ज अब तक का सबसे गर्म महीना रहा, वहीं पिछले 12 महीने का वैश्विक औसत तापमान पैरिस समझौते में निर्धारित पूर्व औद्योगिक काल के स्तर से 1.5 डिग्री सैल्सियस की सीमा को पार कर गया। यूरोपीय जलवायु एजैंसी ने यह जानकारी दी। इसका मतलब पैरिस समझौते में निíदष्ट 1.5 डिग्री सैल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन नहीं है, क्योंकि यह कई वर्षों में दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन को संदíभत करता है।
बीते वर्ष जून के बाद से हर महीना रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म महीना रहा है। वैज्ञानिक इस असाधारण गर्मी का कारण अल नीनो और मानव की गतिविधियों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभावों को मान रहे हैं। अल नीनो मध्य प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने की अवधि है ।
सी3एस के वैज्ञानिकों ने कहा कि पिछले 12 महीनों (फरवरी 2023-जनवरी 2024) का वैश्विक औसत तापमान रिकॉर्ड में सबसे अधिक था और 1850-1900 पूर्व-औद्योगिक अवधि के औसत से 1.52 डिग्री सैल्सियस अधिक था। देशों ने 2015 में पेरिस में जलवायु के बिगड़ते प्रभावों से बचने के लिए पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) की तुलना में औसत तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सैल्सियस से नीचे और अधिमानत? 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित करने पर सहमति व्यक्त की थी।