नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव की एक टिप्पणी ने हलचल मचा दी है। जस्टिस यादव ने हाल ही में एक विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यक्रम में एक विवादित भाषण दिया। शुक्रवार को जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस दिया गया है। इस प्रस्ताव पर सदन के 55 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इस मुद्दे पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल और विवेक तंखा ने प्रतिक्रिया जाहिर की।
कांग्रेस नेता और जाने-माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जस्टिस शेखर यादव द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण ने संविधान का उल्लंघन किया है। जब कोई न्यायाधीश संविधान की रक्षा का शपथ लेकर पद पर नियुक्त होता है, तो उसे उस शपथ का पालन करना चाहिए। अगर कोई न्यायाधीश संविधान के खिलाफ टिप्पणी करता है, तो उसे न्यायपालिका से बाहर किया जाना चाहिए।
सिब्बल ने आगे कहा कि उन्होंने और उनके समर्थकों ने संविधान के तहत जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की है। हमने यह प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेदों के तहत पेश किया है। इस प्रस्ताव में 55 सांसदों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें इंडिया ब्लॉक के कई सदस्य शामिल हैं। यह मुद्दा राजनीति का नहीं, बल्कि संविधान और न्यायपालिका की रक्षा का है।
विवेक तंखा ने कहा कि यह सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा है। जब एक न्यायाधीश संविधान का उल्लंघन करता है, तो हम उसे न्यायाधीश के पद पर कैसे मान्यता दे सकते हैं? उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी आवेदन दाखिल करेंगे। विपक्ष के 55 सांसदों ने इस मुद्दे पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कोई व्यक्तिगत या पार्टी का मामला नहीं है, बल्कि यह संविधान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सवाल है।
बता दें कि प्रयागराज में विहिप की लीगल सेल के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने कहा था कि मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि यह हिंदुस्तान है और यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा से चलेगा।