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केरल: गिरजाघर से जुड़े लोगों के संगठन ने वेटिकन प्रतिनिधि को भारत से निर्वासित करने की मांग की

कोच्चि: सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के एर्नाकुलम-अंगामाली आर्चडाइओसीज में पैरिशियनर (गिरजाघर से जुड़े लोगों) के एक संगठन ने वेटिकन (पोप) के प्रतिनिधि आर्कबिशप सिरिल वासिल को भारत से निर्वासित किए जाने का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अनुरोध किया है। वासिल स्लोवाकिया के नागरिक हैं। वासिल एर्नाकुमल-अंगामाली आर्चडाइओसीज के तहत आने वाले गिरिजाघरों में पवित्र प्रार्थना (होली मास) कार्यक्रम के एकरूप तरीके को लागू करने के सिरो-मालाबार चर्च के फैसले को लेकर पैदा हुए विवाद को समाप्त करने के लिए कोच्चि आए थे।

अलमाया मुन्नेट्टा समिति नामक संगठन ने राष्ट्रपति को सौंपे अपने पत्र में दावा किया है कि उसके पास एर्नाकुमल-अंगामाली आर्चडिओसीज के 328 डाइओसीज (बिशप क्षेत्र) के पैरिशियनर का समर्थन है। उन्होंने वासिल पर उनके प्रशासन में हस्तक्षेप करने और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने का आरोप लगाया। संगठन की कोर समिति के एक सदस्य ने पुष्टि की कि उन्होंने राष्ट्रपति को इस संबंध में एक आपत्ति पत्र सौंपा है। समिति ने अपने पत्र में कहा है, ‘‘सिरो मालाबार चर्च के आदेश को क्रियान्वित करने का सिरिल वासिल का कोई भी प्रयास उनके वीजा नियमों का उल्लंघन है।

ऐसे मामले में, सिरिल वासिल को अवांछित व्यक्ति घोषित करते हुए निर्वासित किया जा सकता है।’’ समिति के पास आर्चडाइओसीज के कई पादरियों का भी समर्थन है। इसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी इसी प्रकार के आपत्ति पत्र सौंपे हैं। पत्र में कहा गया है कि देश की संप्रभुता के खिलाफ काम करने को लेकर वासिल पर भारतीय कानून के मुताबिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए। समिति ने आरोप लगाया कि वासिल अपने राजनयिक/आधिकारिक वीजा की आड़ में भारत के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं।

इससे कुछ दिन पहले ही वासिल ने एर्नाकुलम-अंगामाली आर्चडाइओसीज से जुड़े पादरियों, नन और अन्य लोगों के एक बड़े वर्ग के विरोध को नजरअंदाज करते हुए सेंट मैरी कैथेड्रल में प्रवेश किया। पत्र में दावा किया गया कि राज्य पुलिस प्रमुख सहित पुलिस अधिकारियों को सिरिल वासिल की ‘‘गैरकानूनी गतिविधियों’’ के बारे में उचित समय पर सतर्क किया गया था। इसने आरोप लगाया, ‘‘चौंकाने वाली बात यह है कि 2023 में भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वेटिकन सिटी के शासक के आदेश के तहत कार्य करते हुए सिरिल वासिल ने सैकड़ों पुलिसर्किमयों की सहायता से एर्नाकुलम स्थित सेंट मैरी बेसिलिका चर्च के परिसर में वहां मौजूद नागरिकों के विरोध के बावजूद जबरन प्रवेश किया और अपने कार्य के निष्पादन के लिए फादर एंटनी पुथुवेलिल को प्रशासक नियुक्त कर दिया।’’

समिति ने आरोप लगाया कि पोप के प्रतिनिधि से मिले आदेश के तहत वासिल को भारतीय नागरिकों के क्षेत्र में उनके खिलाफ अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए पुलिस बल मुहैया कराना केरल सरकार का असंवैधानिक कदम है और यह शक्ति के दुरुपयोग का एक स्पष्ट मामला है। वेटिकन के एक प्रतिनिधि ने बृहस्पतिवार को उन पादरियों को कड़ी चेतावनी दी जो सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के एर्नाकुलम-अंगामाली आर्चडाइओसीज के तहत गिरजाघरों में पवित्र प्रार्थना कार्यक्रम में एकरूपता लाए जाने का विरोध कर रहे हैं। प्रतिनिधि ने कहा कि इस तरह की अवज्ञा दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगी।

पोंटिफिकल प्रतिनिधि आर्कबिशप सिरिल वासिल ने संबंधित पादरियों को कड़े शब्दों में लिखे गए एक पत्र में उन्हें 20 अगस्त से धर्मसभा द्वारा अनुमोदित पवित्र प्रार्थना कार्यक्रम की कवायद करने का निर्देश दिया और कहा कि ऐसा न करने को अवज्ञा माना जाएगा। सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च पोप से पूर्ण समन्वय वाले 22 पूर्वी ओरिएंटल गिरजाघरों में से एक है। चर्च धर्मसभा ने अगस्त 2021 में पवित्र प्रार्थना कार्यक्रम का एक समान तरीका पेश किया था। सिरो-मालाबार के अंतर्गत अन्य सभी डाइओसीज ने धर्मसभा-अनुमोदित पवित्र प्रार्थना कार्यक्रम को अपना लिया, लेकिन एर्नाकुलम-अंगामाली आर्चडाइओसीज के अधिकतर पादरियों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वे प्रार्थना कार्यक्रम के पारंपरिक तरीके से अलग नहीं हो सकते।

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