आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में मंदिरों के शहर बटेश्वर का वर्णन पौराणिक ग्रंथो में मिलता है। मान्यता है कि भगवान शिव इस तीर्थ शहर के इष्टदेव हैं। जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी की दूरी पर यमुना तट पर स्थित इस शहर का वर्णन रामायण, महाभारत, मत्स्या पुराण में किया गया है। भगवान शिव के अनेक नामों में से एक वटेश्वरनाथजी के नाम के शहर के बारे में कहा जाता है कि एक जमाने में यहाँ कुल 101 मंदिर हुआ करते थे, जिसमें से 42 मंदिर अभी भी यहाँ मौजूद हैं। इस तीर्थ शहर की असली सुंदरता यहाँ घाटों पर मौजूद मंदिरों की श्रृंखला में है। आज भी, यहाँ के कुछ मंदिरों की छतों पर सुंदर मूल भित्ति-चित्र मौजूद हैं जो कि पारंपरिक वनस्पति रंगों द्वारा बनाए गए थे।
पौराणिक महत्व के साथ इस शहर के तार इतिहास से भी जुड़े हुये हैं। यह शहर आठवीं सदी से लेकर 17वीं सदी तक गुर्जर, चंदेला एवं भदावर राजाओं के मुख्य राज्य रहा है। आज से लगभग 400 सालों पूर्व राजा बदन सिंह (भदावर वंश) ने बटेश्वर को अपनी राजधानी के रुप में स्थापित किया था। यहाँ तक कि जैन शास्त्रों में भी बटेश्वर का वर्णन किया गया है। दंतकथा के अनुसार 22वे तीर्थंकर भगवान नेमीनाथजी का जन्म बटेश्वर से मात्र तीन किमी की दूरी पर स्थित शौरीपुरा नामक स्थान पर हुआ था। वर्तमान में यहाँ कई सुंदर जैन मंदिर हैं।
बटेश्वर मंदिरों के अलावा यहाँ लगने वाले वार्षिक पशु मेले के लिए भी मशहूर है जो चार दशक से आयोजित किया जा रहा है। यह मेला आज भी उसी स्थान पर आयोजित किया जाता है जहाँ राजा बदन सिंह के समय में होता था। सूबे के पर्यटन विभाग ने बटेश्वर नाथ मंदिर काम्पलेक्स के पर्यटन विकास कार्य के लिये 2401.16 लाख की स्वीकृति प्राप्त कर ली है, जिसके अन्तर्गत घाटों का प्लेटफार्म, चेन्जिंग रुम आदि के साथ-साथ मंदिर में पधारें पर्यटकों के सुविधार्थ अन्य विकास कार्य परिसर में कराये जा रहे हैं।