Mahakumbh 2025: प्रयागराज त्रिवेणी संगम पर आयोजित महाकुंभ में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. कुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है. महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन है. मौनी अमावस्या के शाही स्नान को मुख्य पुण्यदायी बताया गया है. क्योंकि महाकुंभ के तीसरा शाही स्नान के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. मौनी अमावस्या पर इस बार महाकुंभ में 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. यह आंकड़ा अतिरंजित लगता है. इसमें कोई शक नहीं कि उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञापनों के चलते इस बार कुम्भ स्नान का क्रेज़ बढ़ा है. मगर कुम्भ में तो बिना प्रचार-प्रसार के भी लोग सदियों से आ रहे हैं. जब न रेलें थीं न बसें और न कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट तब भी लोग जुटते थे।
महाकुंभ मौनी अमावस्या स्नान के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं. यह यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए सबसे बड़ा इम्तेहान होगा।
क्यों खास होती है मौनी अमावस्या?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इससे तर्पण करने वालों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन नदी के घाट पर जाकर पितरों का तर्पण और दान करने से कुंडली के दोषों से मुक्ति पाई जाती है. इसके अलावा, इस दिन मौन व्रत रखने से वाक् सिद्धि की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का विशेष महत्व होता है. मौन व्रत का अर्थ खुद के अंतर्मन में झांकना, ध्यान करना और भगवान की भक्ति में खो जाने से है।