Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

मणिपुर अदालत लीड अंतिम संस्कार मणिपुर: अदालत का कुकी-जोमी लोगों की अंत्येष्टि के लिए प्रस्तावित स्थल को लेकर यथास्थिति का आदेश

इंफाल: जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी समुदाय के लोगों के शव सामूहिक रूप से दफनाए जाने के निर्धारित समय से कुछ घंटों पहले मणिपुर उच्च न्यायालय ने चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में प्रस्तावित अत्येष्टि स्थल को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया। इस बीच, कुकी-जोमी समुदाय के संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने भी कहा कि वह गृह मंत्री अमित शाह के अनुरोध के बाद अंत्येष्टि कार्यक्रम की योजना को स्थगित कर रहा है। इससे पहले संगठन ने राज्य में जातीय हिंसा में मारे गए 35 लोगों के शव हाओलाई खोपी गांव में एक स्थल पर दफनाने की योजना बनाई थी, जिससे मणिपुर के कई जिलों में तनाव पैदा हो गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम वी मुरलीधरन और न्यायमूर्ति ए गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत के मद्देनजर सुबह छह बजे सुनवाई शुरू की और अंत्येष्टि के लिए निर्धारित भूमि को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारों और उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसी तथा आम लोगों को ‘‘यथास्थिति बनाए रखने’’ का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति मुरलीधरन ने कहा कि मामले में आगे की सुनवाई नौ अगस्त को होगी। पीठ ने ‘‘इस जमीन पर लोगों की भारी भीड़ एकत्र होने से हिंसा एवं रक्तपात फिर से भड़कने एवं कानून-व्यवस्था की पहले से अस्थिर स्थिति के और गंभीर होने की आशंका’’ पर भी गौर किया। पीठ ने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और पीड़ित पक्षों को मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के प्रयास करने का निर्देश भी दिया जाता है। आईटीएलएफ भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुरोध के बाद अंत्येष्टि कार्यक्रम पांच दिन के लिए सशर्त स्थगित करने पर सहमत हो गया। संगठन के एक प्रवक्ता ने बताया कि मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने भी यही अनुरोध किया है। आईटीएलएफ ने कहा, ‘‘हमने एक नए घटनाक्रम के कारण कल रात से सुबह चार बजे तक बैठक की। एमएचए (गृह मंत्रालय) ने हमसे अंत्येष्टि कार्यक्रम और पांच दिन स्थगित करने का अनुरोध किया और यदि हम इस आग्रह को स्वीकार करते हैं तो हमें उसी स्थान पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिल जाएगी तथा सरकार उसे इस कार्य के लिए वैध बना देगी।

मिजोरम के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही अनुरोध किया था।’’ उसने कहा, ‘‘विभिन्न पक्षकारों के साथ देर रात लंबे विचार-विमर्श के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हम गृह मंत्रालय के अनुरोध पर विचार करेंगे, बशर्ते वह हमारी पांच मांगों पर लिखित में आश्वासन दें।’’ इससे पहले, आईटीएलएफ की अंत्येष्टि संबंधी योजना के बाद बिष्णुपुर-चुराचांदपुर जिले में अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों को भेजा गया था। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

Exit mobile version