नेशनल डेस्क: कहते हैं जब प्यार किसी से होता है तो प्रेमियों को दुनिया या समाज की परवाह नहीं होती कि कौन क्या कह रहा है। प्रेमी तो बस हर समय अपने प्रियतम के ख्यालों में रहते हैं। सोचिए प्यार अगर भगवान से हो जाए तो। दुनिया प्यार में धोखा दे सकती है लेकिन एक भगवान हैं तो प्रेम की रीत निभाते हैं। लोग भगवान से कई रिश्ते रखते हैं, कोई उनका अपना भाई, बेटा, दोस्त बनाता है तो कोई हमसफर। जी हां हरियाणा के फरीदाबाद निवासी कृष्ण भक्त प्रिया की वृंदावन के ठाकुर के साथ ऐसी प्रीत जुड़ी कि फिर वो बस उन्हीं की होकर रह गई।
कृष्ण भक्त प्रिया एक साल पहले अपना घर-परिवार छोड़कर वृंदावन आ गई थीं और यहां उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मानकर सात फेरे लिए थे। ठाकुर जी से ब्याह रचाए प्रिया को एक साल हो गया है, यानि कि बुधवार को उनकी शादी की पहली एनिवर्सरी थी। वृंदावन के रमणरेती मार्ग स्थित एक होटल में बुधवार को प्रिया ने अपनी शादी पहली एनिवर्सरी इतनी धूमधाम से मनाई कि सभी देखते ही रह गए। समारोह में संत, परिजन और रिश्तेदार शामिल हुए। बताया जा रहा है कि इस समारोह में करीब आठ लाख रुपए से ज्यादा का खर्च किया गया।
साल 2022 में की थी लड्डू गोपाल संग शादी
प्रिया ने 29 नवंबर 2022 को वृंदावन में लड्डू गोपाल संग पूरे रीति-रिवाज से शादी की थी। अब उन्होंने अपनी शादी की पहली एनिवर्सरी भी बड़ी धूमधाम से मनाई। होटल को इतना सुंदर सजाया गया था कि सजावट देखते ही बन रही थी। लड्डू गोपाल जी का अद्भुत श्रृंगार किया गया था और उनका रूप सबको मंत्रमुग्ध कर रहा था। सबसे पहले लड्डू गोपाल मंच पर पहुंचे और उसके बाद प्रिया आई। प्रिया ने पहले लड्डू गोपाल जी को जयमाला पहनाई और फिर उनके हाथ लगाकर अपने जयमाला डाली। प्रिया ने अपनी पहली एनिवर्सरी को भव्य रूप से मनाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। वहीं जयाला के बाद पूरा होटल राधे-राधे के जयकारों से गूंज उठा।
एक-दूसरे को दिया गिफ्ट
इस दौरान प्रिया ने कहा कि हर पति शादी की वर्षगांठ पर पत्नी को गिफ्ट देता है। हमारे कान्हा जी ने हमें भी बहुत प्यारी रिंग गिफ्ट की है। हम भी उनके लिए गिफ्ट लाए हैं। वहीं प्रिया ने कहा कि जो लोग मेरी शादी के लिए नहीं मान रहे थे वो भी आज हमारी पहली एनिवर्सरी मनाने यहां पहुंचे हैं। पिता, भाई, बहन और रिश्तेदारों संग 350 से अधिक लोग हमारी एनिवर्सरी पर पहुंचे हैं। प्रिया ने कहा कि आज में खुश भी हूं कि सभी ने एक साल पहले लिए मेरे फैसले को स्वीकार किया।
प्रिया के पिता राजपाल लंबरदार ने बताया कि वो बचपन से ही भक्तिभाव वाली थी, हम लोग प्यार से उसे सीता बुलाते थे। थोड़ी बड़ी हुई तो अपनी ताई के साथ वो वृंदावन आने लग। बस उसकी वृंदावन में ऐसी लगन लगी कि फिर वो यहीं कि होकर रह गई। उसने यहां किराए पर मकान लिया, हम लोगों ने बहुत कोशिश की कि वो घर चले लेकिन वो नहीं मानी। पिता ने कहा कि आखिरकार जीत प्रिया की हुई और पिछले एक साल से अब वो कृष्ण की है। हमने भी अब अपनी बेटी को भगवान श्रीकृष्ण को सौंप दिया है।