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मोदी कैबिनेट ने 2025-26 सीजन के कच्चे जूट के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी को दी मंजूरी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है। 2025-26 सत्र के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 ग्रेड) का एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इससे उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 66.8 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित होगा।

कैबिनेट ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सीसीईए ने कहा कि विपणन सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

केंद्रीय मंत्री के अनुसार, एमएसपी बढ़ाने के फैसले से जूट की खेती से जुड़े लगभग 1.70 लाख किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और जूट की खेती से जुड़े लगभग 40 लाख परिवारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस कदम को जूट किसानों के लिए बेहतर आय स्थिरता सुनिश्चित करने और जूट उद्योग की वित्तीय स्थिरता में सुधार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

विपणन सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट का स्वीकृत एमएसपी, बजट 2018-19 में सरकार द्वारा घोषित अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है।

विपणन सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट का एमएसपी पिछले विपणन सत्र 2024-25 की तुलना में 315 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है। भारत सरकार ने कच्चे जूट का एमएसपी 2014-15 के 2400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2025-26 में 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो 3250 रुपये प्रति क्विंटल (2.35 गुना) की वृद्धि दर्शाता है।

2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान जूट उत्पादक किसानों को दी गई एमएसपी राशि 1300 करोड़ रुपये थी, जबकि 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान भुगतान की गई राशि 441 करोड़ रुपये थी।

40 लाख किसान परिवारों की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर करती है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि जूट मिलों और जूट के व्यापार में लगभग 4 लाख श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।

पिछले साल 1 लाख 70 हजार किसानों से जूट खरीदा गया था। जूट उत्पादन में 82 प्रतिशत किसान पश्चिम बंगाल के हैं, जबकि शेष असम और बिहार के किसानों की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है।

विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय जूट निगम (जेसीआई) मूल्य समर्थन संचालन करने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में जारी रहेगी और ऐसे संचालन में होने वाले नुकसान, यदि कोई हो, की पूरी भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।

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