हरियाणा के सूरजकुंड मेले में 20 करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यापार होने की उम्मीद: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

हरियाणा के सूरजकुंड में 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का भव्य आगाज हुआ, जो 18 फरवरी तक चलेगा। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुमरू द्वारा मेले का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

चंडीगढ़: हरियाणा के सूरजकुंड में 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का भव्य आगाज हुआ, जो 18 फरवरी तक चलेगा। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मेले का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्मयंत्री मनोहर लाल सहित कई गणमान्य अतिथियों की गरिमामय उपस्थिति रही। राष्ट्रपति ने मेला परिसर में हरियाणा की अपना घर पवेलियन का दौरा किया। हरियाणवी संस्कृति की झलक बिखेर रहे यंत्रों की बारीकि से जानकारी ली।

राष्ट्रपति ने मेला के थीम स्टेट गुजरात राज्य के स्टॉलों का अवलोकन करते हुए शिल्पकारों से भी संवाद किया। साथ ही मेले के सहभागी देशों व प्रदेशों की सांस्कृतिक विधा को भी देखते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया। परिसर की मुख्य चौपाल के मंच से राष्ट्रपति ने दीप प्रज्‍जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1987 से हर वर्ष आयोजित किए जा रहे इस मेले के सफल आयोजन के लिए सभी टीमें बधाई की पात्र हैं। उन्होंने मेले के आयोजन के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री व उनकी टीम की प्रशंसा की।

तंजानिया इस वर्ष के मेले का भागीदार देश : द्रौपदी मुमरु ने कहा कि तंजानिया इस वर्ष के मेले का भागीदार देश है। पिछले साल अक्तूबर में तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन से चर्चा के दौरान दोनों देशों की सांस्कृतिक आदान-प्रदान को अधिक विस्तारित करने के महत्व पर सहमति बनी थी। मेले में आने वाले आगंतुकों को लकड़ी की नक्काशी, मिट्टी के बर्तन और बुनाई सहित जीवंत और रंगीन तंजानिया कला और शिल्प का अनुभव करने का मौका मिलेगा। यह तंजानियाई नृत्य, संगीत और व्यंजनों को प्रदर्शित करने का एक अद्भुत मंच है। जिसमें हम भारत और पूर्वी अफ्रीकी तट के बीच सदियों से लोगों के बीच संपर्क के कारण कुछ भारतीय प्रभाव की झलक भी देख सकते हैं।

मेले में भागीदार राष्ट्र के रूप में तंजानिया की भागीदारी अफ्रीकी संघ के साथ भारत की मजबूत भागीदारी को उजागर करती है। मेले के साझेदार राज्य गुजरात की कला, परंपरा देखते ही बनती है। गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिल्पकरों व कलाकारों के माध्यम से राज्य की जीवंत कला देखने को मिलेगी। उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड मेले के सांस्कृतिक भागीदार हैं। हमारे शिल्पकारों ने देश की कला विरासत को संजोकर रखा है। इसके लिए सभी शिल्पकार सराहना के पात्र हैं। मेला हमारी सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है।

मेला हमारी परंपरा का उत्सव भी है और नवीनता का भी। मेला हमारे शिल्पकारों को कला प्रेमियों से जोड़ने का प्रभावी मंच है। मेला कला प्रदर्शनी भी है और व्यापार केंद्र भी है। मेले के दौरान 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार होने की उम्मीद है, जो शिल्पकारों व हथकरघा व्यापारियों के लिए आर्थिक दृष्टि से एक बहुत बड़ा मंच है।

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