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मुंबई में मुस्लिम नेताओं ने समावेशी नीतियों के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को सशक्त बनाने के लिए की PM Modi की प्रशंसा

मुंबई : एकता, सांप्रदायिक सद्भाव, अखंडता और राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए, इंडियन माइनॉरिटी फाउंडेशन (आईएमएफ) ने 27 नवंबर, 2023 (सोमवार) को मुंबई के बिरला मातोश्री सभागार में एक सद्भावना कार्यक्रम – ‘जज़्बा-ए-हब्ब-उल-वतनी’ आयोजित किया। जिसमें आध्यात्मिक नेता, मौलवी, शिक्षाविद, विद्वान, व्यापारियों, बॉलीवुड तथा संगीत जगत से मुस्लिम समुदाय के प्रमुख सदस्य बड़ी संख्या में एक साथ आए और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए ऐतिहासिक मुंबई संकल्प पारित किया। मुस्लिम सामाजिक-राजनीतिक नेताओं ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की सराहना की, इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनकी सरकार की समावेशी नीतियों ने धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया है और देश भर में मुस्लिम समुदाय के भीतर अद्वितीय विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।

कार्यक्रम में सभी मुस्लिम संप्रदायों- सुन्नी, शिया, सूफी, अहमदिया, दाऊदी बोहरा और पसमांदा मुसलमानों की कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। इन नेताओं ने मुस्लिम आबादी की सामाजिक-आर्थिक उन्नति में योगदान करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में समान अवसर सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के सपने को हासिल करने के लिए देश की प्रगति और विकास के लिए अपना एकजुट रुख भी व्यक्त किया। मुस्लिम नेताओं ने जोर देकर कहा कि वे भारत के खिलाफ किसी भी आतंकवादी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेंगे और वे गर्वित भारतीयों के रूप में देश के दुश्मनों को उचित जवाब देंगे। कार्यक्रम में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के लिए अटूट समर्थन प्रदर्शित करने और इस सपने को प्राप्त करने में समर्थन और सक्रिय योगदान का वादा करते हुए एक प्रस्ताव ‘मुंबई संकल्प’ भी पारित किया।

महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक विकास और औकाफ मंत्री अब्दुल सत्तार अब्दुल नबी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडल में भामला फाउंडेशन के संस्थापक और पर्यावरणविद् आसिफ भामला ; अखिल भारतीय मेमन जमात के अध्यक्ष इक़बाल मेमन; शिया उलमा बोर्ड महाराष्ट्र के अध्यक्ष और ऑल इंडिया शिया पर्सनल बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना ज़हीर अब्बास रिज़वी; प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और सामाजिक व्यक्ति डॉ. मौलाना कल्बे रुशैद रिज़वी; अंजुमन इस्लाम के अध्यक्षडॉ. ज़हीर क़ाज़ी; राष्ट्रीय सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष मंसूर खान; पारसोली ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक और शिक्षाविद् जफर सरेशवाला; इंटरनेशनल सूफ़ी कारवां के संस्थापक अध्यक्ष मुफ़्ती मंज़ूर ज़ियाई; सोहेल खंडवानी, प्रमुख सचिव, प्रबंध ट्रस्टी (हाजी अली ट्रस्ट और मखदूम शाह बाबा ट्रस्ट); टाइम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ सहायक संपादक मोहम्मद वजीउद्दीन शामिल थे।

एक संयुक्त बयान में मुस्लिम नेताओं ने कहा कि मुंबई प्रस्ताव का पारित होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण के प्रति हमारे एकीकृत समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने पुष्टि की, “हम देश की प्रगति के लिए अपनी सक्रिय भागीदारी और सहयोग का वादा करते हुए, इस परिवर्तनकारी लक्ष्य के समर्थन में एक साथ खड़े हैं।” इस अवसर पर आईएमएफ ने बॉलीवुड गायक शाहिद माल्या और सितारवादक उस्ताद सिराज खान को उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर 27 गैर सरकारी संगठनों को भी सम्मानित किया गया। अल्पसंख्यक विकास एवं औकाफ मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि पिछले नौ वर्षों के दौरान कल्याणकारी योजनाएं मुस्लिम समुदाय तक पहुंची हैं और उन्हें अभूतपूर्व स्तर पर सशक्त बनाया है। उन्होंने कहा, “हमारे संविधान में कल्पना के अनुसार मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को समान अवसर प्रदान किए गए हैं और उनके कल्याण को प्राथमिकता दी गई है। देश में नीति निर्माण और कानून निर्माण में चाहे वह संसद हो या देश की कोई अन्य संस्था, उनका समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।”

मंत्री अब्दुल सत्तार ने आगे कहा कि देश में मुस्लिम समुदाय के योगदान को स्वीकार किया गया है और उन्हें सरकार से प्रत्येक स्तर पर मान्यता मिली है, जिसे पिछले नौ वर्षों में मुसलमानों को दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों में वृद्धि में देखा जा सकता है। पारसोली ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक और शिक्षाविद् जफर सरेशवाला ने कहा,“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले नौ वर्षों के दौरान विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत धन के आवंटन में कोई भेदभाव नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर दूसरे देश की यात्रा से भारत की वैश्विक छवि पूरी तरह बदल गई है। उन्होंने न केवल विकसित और विकासशील देशों के साथ संबंध सुधारे हैं, बल्कि दुनिया को यह एहसास भी कराया है कि वैश्विक नीति बनाते समय अब भारत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कूटनीतिक प्रयासों और जी-20 जैसे विभिन्न मंचों पर सहयोगात्मक नीति के परिणामस्वरूप भारत की स्तिथि मजबूत हुई है।”

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