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ऑपरेशन कावेरी सबसे खतरनाक, विशेष रूप से जटिल था: Jaishankar

नयी दिल्ली/मैसूरु: भारत द्वारा 2014 से अब तक किए गए सभी निकासी (रेस्क्यू) अभियानों में, ‘ऑपरेशन कावेरी’ सबसे खतरनाक और जटिल था, क्योंकि हिंसा प्रभावित सूडान की राजधानी खार्तूम में भारतीय दूतावास के कर्मचारियों ने लगभग 4,000 लोगों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी। मैसूर में मोदी सरकार की विदेश नीति पर बातचीत में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ऑपरेशन कावेरी ‘ एक जटिल ऑपरेशन था’ और विदेश मंत्रालय इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बोलने में संकोच कर रहा था क्योंकि वे ‘वास्तव में चिंतित थे कि अगर हमने कुछ भी सार्वजनिक किया तो हम उन्हें खतरे में डाल रहे होंगे।”

विदेश मंत्री ने कहा,“ऑपरेशन कावेरी के तहत हम लगभग 4,000 लोगों को वापस लाए हैं और मोटे तौर पर इनमें लगभग 11-12 प्रतिशत कर्नाटक के निवासी हैं। यह वायु सेना का उपयोग करके किया गया था, 17 उड़ानें भरी गयी और पांच समुद्री जहाजों ने भी लोगों की जान बचायी।” डॉ. जयशंकर ने कहा,“ इन ऑपरेशनों की एक श्रृंखला को देखते हुए 2015 से जब हमने यमन ऑपरेशन, ऑपरेशन राहत चलाया, लेकिन वास्तव में यह सबसे खतरनाक ऑपरेशन था। यह एक ऐसा ऑपरेशन था जहां लोगों ने अपनी जान जोखिम में डाली, जहां खार्तूम में कुछ दूतावास थे, जब लड़ाई शुरू हुई, तो ज्यादातर दूतावास बहुत जल्दी चले गए। हमारा दूतावास रुका हुआ था, क्योंकि खार्तूम में भारतीय थे।”

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