बच्चों पर अच्छी शिक्षा के लिए दबाव नहीं बनाएं अभिभावक : Ram Nath Kovind

सालासरः पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि अभिभावकों को अपने सपनों को साकार करने के लिए बच्चों पर अच्छी शिक्षा के लिए दबाव नहीं बनाया जन चाहिए। कोविंद ने यहां त्रिवेणी देवी धनुका उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मां बाप अपना सपना अपने.

सालासरः पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि अभिभावकों को अपने सपनों को साकार करने के लिए बच्चों पर अच्छी शिक्षा के लिए दबाव नहीं बनाया जन चाहिए। कोविंद ने यहां त्रिवेणी देवी धनुका उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मां बाप अपना सपना अपने बच्चों पर थोपते है जिससे बच्चे तनाव में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि पिता अपने सपने अपने बच्चों में देखते हैं जिससे बच्चे तनाव में आ जाते हैं और आत्महत्या तक की घटनाएं होती है।

उन्होंने कहा , कि ‘आधुनिक शिक्षा में इससे बचने की जरुरत है। बच्चे अपना सपना देखें । अभिभावक अपना सपना न थोपें । शिक्षा के लिए बच्चों को फ्री हैंड दिया जाना चाहिए जिससे वे अच्छे इंसान बने।’’ कोविंद ने तमिलनाडु की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक शिक्षण संस्थान का टॉप छात्र नीट की परीक्षा में फेल हो गया। दूसरी बार भी फेल होने पर उसने आत्महत्या कर ली। इसके कुछ दिन बाद उसके पिता ने भी आत्महत्या कर ली।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य अच्छे इंसान और नागरिक बनाना होता है । इससे लोगों का जीवन सुधार जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नए नए प्रयोग हो रहे हैं जिससे बेहतर मानव संसाधन तैयार होंगे। बेहतर शिक्षा से अच्छे अध्यापक, डॉक्टर, अधिकारी और अच्छे पति पत्नी भी बनते हैं। इससे अच्छे राजनेता भी बनते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल की चर्चा करते हुए कहा कि विदेशों में भारत मान्यता और ख्याति बढ़ी है। उन्होंने 33 देशों की यात्र की थी और इस दौरान उन्होंने ऐसा महसूस किया। उन्होंने कहा कि कुछ देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री उनके साथ कार में जाने के लिए संवाद देते थे।

उन्होंने कहा कि हाल ही में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री को बॉस बताया जबकि दोनो एक दूसरे के समकक्ष थे। उन्होंने कहा कि भारत एक महाशक्ति बन चुका है। कोरोना संकट के दौरान कुछ लोग इसका टीका आयात करने को बात करते थे जबकि देश ने इसका निर्माण करने का निर्णय किया। एक साल के अंदर टीका विकसित कर लिया गया और टीकाकरण शुरु भी हो गया। इसके साथ ही विदेशों को भी यह टीका दिया गया। बड़प्पन की पहचान उदारता से होती है। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान वहां फंसे 23 हजार मेडिकल के छात्रों को 24 घंटे के लिए युद्ध विराम कर देश में लाया गया।

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