लेह: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा दिए जाने के समर्थन में पिछले दो सप्ताह से भूख हड़ताल पर बैठे पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने मंगलवार को कहा कि वे बाहरी दुनिया के सामने ‘‘जमीनी हकीकत’’ लाने के लिए शीघ्र ‘बॉर्डर मार्च’ (सीमा मार्च) निकालने की योजना बना रहे हैं। केडीए, एपेक्स बॉडी और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत विफल होने के एक दिन बाद छह मार्च से वांगचुक यहां भूख हड़ताल पर हैं।
भूख हड़ताल के 14वें दिन सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर वांगचुक ने कहा कि लद्दाख की भूमि, पर्यावरण और आदिवासी मूल संस्कृति को बचाने के लिए 250 लोग शून्य से नीचे 12 डिग्री तापमान में भूखे सोए। उन्होंने कहा, ‘दक्षिण में विशाल भारतीय औद्योगिक संयंत्रों और उत्तर में चीनी अतिक्रमण के कारण हमारे घुमंतू समुदाय के लोगों को अपनी चारागाह भूमि से हाथ धोना पड़ रहा है।
जमीनी हकीकत दिखाने के लिए हम जल्द ही 10,000 लद्दाखी चरवाहों और किसानों के सीमा मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं।’’ केडीए ने जारी आंदोलन के तहत 20 मार्च को कारगिल शहर में आधे दिन की हड़ताल और एक रैली का आह्वान किया है।