नई दिल्ली: प्रधानमंत्री केयर फॉर चिल्ड्रेन योजना को मई 2021 में उन बच्चों की मदद के लिए शुरू किया गया था, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता या अभिभावक खो दिए थे। 2022-23 के लिए फंड की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के तहत 4,543 बच्चों के कल्याण के लिए 346 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह स्कीम प्रधानमंत्री नरेंद्र ने 29 मई, 2021 को लॉन्च की थी, जिसका उद्देश्य कोविड के समय 11 मार्च 2020 से 5 मई 2023 के बीच के अवधि में अनाथ हुए बच्चों को सपोर्ट करना था।
इस योजना का उद्देश्य बच्चों की व्यापक देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसमें बच्चों को स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से उनकी भलाई सुनिश्चित करना, शिक्षा के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना और 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर उन्हें आर्थिक सहायता देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार करना शामिल है। इस योजना ने देश के 31 राज्यों के 558 जिलों के बच्चों को सपोर्ट किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकांश बच्चे महाराष्ट्र (855) से थे, इसके बाद उत्तर प्रदेश (467), मध्य प्रदेश (433), तमिलनाडु (426) और आंध्र प्रदेश (351) थे।
इस योजना के तहत सभी बच्चों को 10 लाख की वित्तीय सहायता, सभी बच्चों के पुनर्वास के लिए बोर्डगिं और लॉजिंग का सपोर्ट, स्कूलों में प्रवेश, उच्च शिक्षा के लिए शैक्षणिक ऋण, 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर और कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए प्रति बच्चा प्रति वर्ष 20,000 रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। कोविड-19 महामारी का बच्चों पर काफी प्रभाव पड़ा, जिसमें दिनचर्या में बदलाव, स्कूल नहीं जा पाना, चिंता का सामना करना और कोविड-19 से प्रियजनों की मौत शामिल है।