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PM मोदी ने की देशवासियों से अपील, कहा ‘त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें’

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेक इन इंडिया अभियान के 10 वर्ष पूर्ण होने का उल्लेख करते हुये फिर से देशवासियों से सिर्फ मेक इन इंडिया उत्पाद खरीदने की रविवार को अपील की।

मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 114वीं कड़ी में यह अपील करते हुये कहा,“ इस महीने एक और महत्वपूर्ण अभियान ‘मेक इन इंडिया’ को 10 साल पूरे हुए हैं। इस अभियान की सफलता में, देश के बड़े उद्योगों से लेकर छोटे दुकानदारों तक का योगदान शामिल है। गरीब, मध्यम वर्ग और एमएसएमई को इस अभियान से बहुत फायदा मिल रहा है। इस अभियान ने हर वर्ग के लोगों को अपना कौशल सामने लाने का अवसर दिया है। आज, भारत विनिर्माण का पावरहाउस बना है और देश की युवा-शक्ति की वजह से दुनिया-भर की नजरें हम पर हैं।”

मोदी ने कहा,“ त्योहारों के इस मौसम में आप फिर से अपना पुराना संकल्प भी जरूर दोहराइए। कुछ भी खरीदेंगे, वो, ‘मेक इन इंडिया ’, ही होना चाहिए, कुछ भी उपहार देंगे, वो भी, ‘मेक इन इंडिया ’ ही होना चाहिए। सिर्फ मिट्टी के दीये खरीदना ही वोलक फॉर लोकल नहीं है। आपको, अपने क्षेत्र में बने स्थानीय उत्पादों को ज्यादा-से-ज्यादा बढ़ावा देना चाहिये। ऐसा कोई भी उत्पाद जिसे बनाने में भारत के किसी कारीगर का पसीना लगा है, जो भारत की मिट्टी में बना है, वो हमारा गर्व है – हमें इसी गौरव पर हमेशा, चार चाँद लगाने हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, विमानन, इलेक्ट्रानिक्स, रक्षा हर क्षेत्र में देश का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगातार बढ़ना भी ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता की गाथा कह रहा है। उन्होंने कहा, “अब हम मुख्य रूप से दो चीजों पर फोकस कर रहे हैं। पहली है गुणवत्ता यानि, हमारे देश में बनी चीजें वैश्विक मानकों की हों। दूसरी है ‘वोकल फॉर लोकल यानी, स्थानीय चीजों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले। ‘मन की बात’ में हमने माय प्रोडक्ट माय प्राइड की भी चर्चा की है। स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने से देश के लोगों को फायदा होता है।”

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के भंडारा जिले में टेक्सटाइल की एक पुरानी परंपरा है – ‘भंडारा टसर सिल्क हैंडलूम’। टसर सिल्क अपने डिजाइन, रंग और मजबूती के लिए जानी जाती है। भंडारा के कुछ हिस्सों में 50 से भी अधिक ‘स्व सहायता समूह इसे संरक्षित करने के काम में जुटे हैं। इनमें महिलाओं की बहुत बड़ी भागीदारी है। यह सिल्क तेजी से लोकप्रिय हो रही है और स्थानीय समुदायों को सशक्त बना रही है और यही तो मेक इन इंडिया की ‘आत्मा’ है।

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