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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर किया उन्हें याद

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारतीय पुनजर्गरण के महान स्तंभ के रूप में याद किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन और उनके विचारों को अपनाने पर जोर देते हुए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बात कहीं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘भारतीय पुनजर्गरण के प्रमुख स्तंभ स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। स्वामी दयानंद जी द्वारा चलाए गए शिक्षा और समाज सुधार कार्यक्रमों ने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी शिक्षाएं सदैव प्रासंगिक रहेंगी। हमारे देश के प्राचीन गौरव को पुन: स्थापित करने के उनके विचारों से प्रेरणा लेकर हम सब भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ते रहें।‘

वहीं कांग्रेस पार्टी ने एक्स पर लिखा, ‘महान समाज सुधारक एवं आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जयंती पर सादर नमन।‘ स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान हिंदू दार्शनिक और समाज सुधारक थे। वे आर्य समाज के संस्थापक थे, जिन्होंने महिलाओं की असमानताओं और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

उनका जन्म गुजरात में 1824 में एक प्रमुख हिंदू ब्राह्मण परिवार में मूल शंकर तिवारी के रूप में हुआ था। उन्होंने बाल विवाह और सती जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी दयानंद सरस्वती महिला अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने महिलाओं के लिए समान अवसर को बढ़ावा दिया और यहां तक कि शिक्षा तक उनकी पहुंच के लिए भी लड़ाई लड़ी। उन्होंने शिक्षा संबंधी सुधारों को भी लागू किया, जिससे महिलाओं को शिक्षा और अन्य अधिकार प्राप्त करने में मदद मिली। उनकी प्रमुख कृतियों में ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका, सत्यार्थ प्रकाश और संस्कार विधि शामिल हैं।

महर्षि दयानंद सरस्वती की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश ने समाज में वैदिक मूल्यों के पुनरुद्धार में योगदान दिया। स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती हर साल हिंदू महीने फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है। ऐसे में इस साल उनकी जयंती आज मनाई जा रही है।

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