नई दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना स्वस्थ और विकसित भारत बनाने की है जिसमें गुणवत्ता, वहनीय और सुलभ दवाएं, इलाज और स्वास्थ्य सुविधाएं देश के प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध हो। मांडविया ने यह टिप्पणी ‘‘भारत के पूवरेत्तर राज्यों के लिए सुलभ और वहनीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए अनुसंधान प्राथमिकता पर क्षेत्रीय परामर्शदात्री कार्यशाला’’ का उद्घाटन करते हुए की हैं। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री प्रवीण पवार और मेघालय के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.माजेल अम्पारीन लिंगदोह भी मौजूद थे। इसका आयोजन स्वास्थ्य अनुसंधान विभग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय; भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान, शिलांग और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने संयुक्त रूप से किया है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मांडविया ने कहा, कि ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना स्वस्थ और विकसित भारत बनाना है जहां पर प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा हमेशा मिले, स्वास्थ्य सुविधाएं और दवाएं आसानी से वहनीय,सुलभ और उपलब्ध हो; स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार सभी भौगोलिक क्षेत्रों में हो और संतुलित आधार पर उपलब्धता हो।’’ उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश यह सुनिश्चित करना है कि स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता समान रूप से हो और अमीर एवं गरीब के बीच भेद न हो।
मांडविया ने कहा, कि ‘इस लक्ष्य को प्राप्त कने के लिए सरकार नीतियों और विभिन्न योजनाओं पर काम किया है जिससे ऐसा स्वास्थ्य मॉडल बना है जो ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की भावना को प्रस्तुत करता है।’’ पूवरेत्तर हिस्से के विकास को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए मांडविया ने कहा कि पिछले 10 साल से स्वास्थ्य, सड़क, रेलवे, आई-वे, जलमार्ग और रोप वे जैसे सभी प्रकार के संपर्क से देश के इस हिस्से को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की गई है।
मांडविया ने कहा कि देश में पहली बार पूवरेत्तर को देश के विकास इंजन के तौर पर देखा जा रहा है। आज स्वास्थ्य सेवाएं पूरे क्षेत्र में सुलभ और उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, कि ‘पिछले 10 वर्षों में, रिम्स (क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान), रिपंस (क्षेत्रीय पैरा चिकित्सा एवं नर्सिंग विज्ञान संस्थान), एनईआईजीआरआईएचएमएस (उत्तर पूर्वी इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान) और असम एम्स (अखिल भारतीय आयुíवज्ञन संस्थान) जैसे संस्थानों का विकास किया गया है और क्षेत्र में 23 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। आईसीएमआर ने क्षेत्र में विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाएं भी विकसित की हैं।’’