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खट्टर-दुष्यंत राज में हरियाणा बना देश में परीक्षा लीक का हब: रणदीप सुरजेवाला

चंडीगढ़: हरियाणा प्रदेश में उघड़ते जा रहे एक के बाद एक पेपर लीक व भर्ती घोटालों पर राज्यसभा सांसद और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महासचिव, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए पूछा है कि पेपर लीक के किसी भी “बड़े मगरमच्छ” को आज तक क्यों नहीं पकड़ा गया? इसका मतलब साफ़ है कि “सरकार के संरक्षण” में चल रहे इस गोरखधंधे में छिटपुट कार्रवाई करके असली अपराधियों को बचाया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश के सभी पेपर लीक और भर्ती घोटालों की समयबद्ध जाँच हाईकोर्ट के पदेन न्यायाधीश से कराने की माँग की है।

प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार पर सीधे और कड़वे सवालों की बौछार करते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में आयोजित “केंद्रीय विद्यालय संगठन” की टीजीटी की भर्ती परीक्षा हैक करने का मामला कोई पहला नहीं है। उन्होंने कहा कि हरियाणा अब देश का “पेपर लीक हब” बन चुका है और इस माफिया को सरकार का सीधा संरक्षण हासिल है। सुरजेवाला ने कहा कि पिछले साढ़े आठ साल में प्रदेश की ऐसी कोई भर्ती नहीं जिसका पर्चा लीक नहीं हुआ हो और ऐसा कोई भर्ती घोटाला नहीं जिस पर सिर्फ लीपापोती करने की बजाय खट्टर सरकार ने साफ नीयत से एक भी कार्रवाई की हो।

उन्होंने याद दिलाया कि खट्टर सरकार की पहली भर्ती 2016 की क्लर्कों की थी। उस पहली ही भर्ती में पानीपत के एक भाजपा नेता के स्कूल से परीक्षा का पर्चा लीक होने के आरोप लगे। परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी के लोगों के कबूलनामे आए और गुप-चुप ढंग से मामला खत्म कर दिया गया ? माननीय न्यायालय को इस भर्ती के खिलाफ दाखिल अर्ज़ी तकनीकी कारणों से रद्द करनी पड़ी।

रणदीप ने कहा कि घोटाले के पीछे राज्य सरकार का लचीला रुख देखकर इस प्रदेश में भर्ती घोटालों की श्रृंखला ही चल पड़ी। पुलिस कांस्टेबल भर्ती की परीक्षा लीक हुई। सरकार ने जांच का ड्रामा किया और अंत मे विजिलेंस जांच को कारगिल ले जाकर उलझा दिया। फिर नायब तहसीलदार की भर्ती का पर्चा लीक हुआ। कुछ लोगों को बलि का बकरा बनाकर मामला रफा-दफा कर दिया गया और सारे माफिया सरगनाओं को बचा लिया गया ?

सुरजेवाला ने कहा कि “परीक्षाओं के पर्चे बेचने का धंधा” केवल परीक्षा केंद्रों तक सीमित हो, ऐसा नही है। खट्टर सरकार के समय जितनी भी ऑनलाइन परीक्षाएं हुई सभी मे धांधली के आरोप लगे हैं। किसी भी भर्ती में कट-ऑफ अंक 90-95% से कम नही रहे जो बिना हेराफेरी के सम्भव ही नही लेकिन खट्टर सरकार ने आज तक कोई ठोस कार्रवाई नही की।

उन्होंने आरोप लगाया कि परीक्षाओं के पर्चे बेचने का धंधा लगातार चलता रहा और सरकार मैरिट तथा पारदर्शिता के झूठे नारे देकर मामलों को दबाती रही। हद तो उस दिन हो गई जब हरियाणा लोक सेवा का डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर अपने ऑफिस में करोड़ों रुपए से भरी अटैची के साथ एचसीएस परीक्षा की ओएमआर शीट भरता हुआ पकड़ा गया। इस अटैची कांड में बदनामी के छींटे सीएम ऑफिस तक उड़े लेकिन सरकार ने सारा मामला अकेले अनिल नागर के सिर डालकर बाकी सभी बड़े सरगनाओं व मगरमच्छों को साफ बचा लिया । यही नहीं, अब तो नागर की भी ज़मानत मिल चुकी।

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