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नियामक बोर्ड के जरिये हस्तक्षेप नहीं करना चाहता, यह सुशासन सुनिश्चित करेगा : Mansukh Mandaviya

Mansukh Mandaviya

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Mansukh Mandaviya : खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय खेल विधेयक के मसौदे के तहत ‘राष्ट्रीय नियामक बोर्ड’ का गठन होने पर राष्ट्रीय महासंघों और आईओए की स्वायत्तता को लेकर चिंताओं को दरकिनार करते हुए कहा कि यह सुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है और मंत्रालय की रोजमर्रा के कार्यों में हस्तक्षेप करने की कोई मंशा नहीं है। खेल नियामक बोर्ड की स्थापना राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के मसौदे की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। नियामक संस्था के पास भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और राष्ट्रीय खेल महासंघों सहित अन्य को मान्यता देने नवीनीकृत करने और निलंबित करने का अधिकार होगा।

मांडविया ने कहा, कि ‘हम (खेल महासंघों के दैनिक कार्यों में) हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। इसीलिए मैं इस मुद्दे पर काफी बातचीत कर रहा हूं। मैंने महासंघों के साथ काफी विचार-विमर्श किया। मैंने प्रतिष्ठित खेल हस्तियों और यहां तक कि खेल महासंघों को अकसर अदालत में घसीटने वाले वकीलों से भी परामर्श किया है।’’ उन्होंने कहा, कि ‘हम नियंत्रण अपने हाथ में नहीं लेना चाहते, लेकिन हम इसे बिना किसी निगरानी के नहीं छोड़ सकते। यह सरकार की जिम्मेदारी है।’’ ‘खेल नियामक बोर्ड’ की ‘अत्यधिक शक्तियों’ पर भारतीय ओलंपिक समिति (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा ने सवाल उठाते हुए आगाह किया है कि यह आईओए और राष्ट्रीय महासंघों की स्वायत्तता को कमजोर करेगा और इससे देश पर अंतरराष्ट्रीय निलंबन का खतरा होगा।

मांडविया ने कहा, कि ‘यह बहुत महत्वपूर्ण तर्क है। यह गलत नहीं है। हमें अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय महासंघों के नियमों और विनियमों का पालन करना होगा।’’ उन्होंने कहा, कि ‘हमें इन सब का अनुपालन करना होगा। इसलिए हम विधेयक पर बारीक नजर रख रहे हैं। हम अंतरराष्ट्रीय महासंघों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इस विधेयक में ऐसे प्रस्ताव होंगे कि अंतरराष्ट्रीय महासंघों से तालमेल बना रहे। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो वे हमें निलंबित कर सकते हैं।’ मांडविया ने हालांकि कहा कि वह इस विधेयक को संसद में पेश करने की जल्दबाजी में नहीं है और इसे हर तरह की शिकायतों और खामियों को दूर करने के बाद ही सदन में पेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा, कि ‘इस पर काम चल रहा है। हम किसी जल्दबाजी में नहीं है। इस विधेयक से हर तरह की शिकायतों को दूर करने के बाद ही संसद में पेश किया जायेगा। इसे संसद के आगामी सत्र में पेश करने की कोई योजना नहीं है।’’ खेल मंत्री ने कहा कि सरकार को खेलों को नियंत्रित करने में कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन वह देश में खेलों की बेहतर स्थिति के लिए सुशासन सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी। उन्होंने कहा, कि ‘हम किसी की स्वायत्तता में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। एक महासंघ में स्वायत्तता क्या है? जब अदालत हमसे कहती है कि चुनाव होना चाहिए, तो किसी को यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होना चाहिए कि चुनाव ठीक से हो।’’

उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा, कि ‘इसके लिए एक अलग प्रणाली बनाई जानी चाहिए और वे (नियामक बोर्ड) इस पर नजर रखेंगे। हम इसे नहीं देखेंगे। सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। हम एक परिपक्व विधेयक लाएंगे।’’ मांडविया ने भारतीय पहलवानों के हालिया मामले में हस्तक्षेप का जिक्र करते हुए कहा कि अदालती मामले के कारण राष्ट्रीय महासंघ के द्वारा टीम नहीं भेज पाने के बाद बावजूद पहलवान विश्व चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा कर पा रहे हैं। यह इस बात का उदाहरण है कि कुछ परिस्थितियों में उनके मंत्रलय की भूमिका कितनी जरूरी हो जाती है।

उन्होंने कहा, कि ‘अगर थोड़ी देर के लिए मान लेते है कि हमें हस्तक्षेप नहीं करना है। ऐसे में क्या स्थिति होगी? कुश्ती महासंघ के लोग कह रहे है कि पहलवानों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भेजना अदालत की अवहेलना होगी लेकिन मैं अपने बच्चों (पहलवानों) को कैसे प्रतियोगिता से दूर रख सकता हूं। अगर हमारे खिलाड़ी नहीं जाएंगे तो यह सरकार की विफलता होगी।’’

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