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आर्थोपेडिक केयर में क्रांतिकारी बदलाव : Robotic Surgery ने घुटने के प्रतिस्थापन में प्राप्त की बढ़ती सफलता

नई दिल्लीः अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से विशेष रूप से रोबोट की मदद से होने वाली प्रक्रियाओं से सर्जरी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण असर हो रहा है। हाल में आई एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है ‘रोबोटिक्स इन मेडिकल डिवाइसेस – थीमैटिक इंटेलिजेंस’, में कहा गया है कि भविष्य की आवश्यकता और मांग के कारण मेडिकल रोबोटिक्स उद्योग का विकास और वृद्धि, स्पष्ट और अनिवार्य है। यह उम्मीद है कि इस क्षेत्रमें8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि दर्ज होगी, और यह 2030तक15.8अरब डॉलर का हो जाएगाजो 2022 में 8.6अरब डॉलर था।

घुटने की प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) सर्जरी आम तौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित मरीज़ों की होती है। यह रोग भारत में आम हैऔर लगभग 22 से 39%लोगों को होता है। केवल जयपुर में ही लगभग 22-39% मरीज़ ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं। आर्थोपेडिक सर्जरी के मामले में, रोबोटिक उपकरणों के उपयोग ने भारत में घुटने के रिप्लेसमेंट से जुड़ी सर्जरी में एक मानक स्थापित किया है। घुटने का पूर्ण प्रतिस्थापन(टोटल नी रिप्लेसमेंट -TKR) सर्जरी की प्रक्रिया है जिसमें क्षतिग्रस्त या घिसे हुए घुटने के जोड़ की जगह धातु और अल्ट्रा-हाई मॉलेक्यूलरवेट पॉलीएथिलीन से बना कृत्रिम जोड़ लगाया जाता है। रोबोटकी मदद से होने वालीऑर्थोपेडिक सर्जरी कीसफलता दर करीब98% है।

फोर्टिस अस्पताल के निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. अतुल मिश्रा ने कहा, “तकनीकी और रोबोटिक से जुड़ी ताज़ातरीन प्रोद्योगिकीकी मदद से अब रोगी की विशिष्ट शारीरिक रचना के आधार पर घुटने का पूरी तरह से रिप्लेसमेंट करने की योजना बनाई जा सकती है, और यह दृष्टिकोण गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस केमरीज़ों के इलाज में सफल रहा है। सर्जरी के दौरान रोबोटिक उपकरणों का उपयोग सर्जन को मदद करता है, लेकिन किसी भी टीकेआर प्रोसीजर की सफलता अंततः इस बात पर निर्भर करती है कि आर्थोपेडिक सर्जन कितना जानकार और कुशल है। प्रौद्योगिकी और मानवीय अनुभव दोनों के मेल से, ऑपरेशन के बाद होने वाली समस्याओं को कम करने, तेजी से स्वस्थ होने, जोड़ की स्थिरता और घुटने ठीक से काम करें, इस सबमें मदद मिलती है।”

सर्जन अब, प्रभावित जोड़ के उच्च-रेज़ॉल्यूशन 3DCTSCAN के साथ, मरीज़ की शारीरिक रचना के अनुरूप ऑपरेशन से पहले कीतैयारी कर सकते हैं, जिससे अधिक सटीक तरीके से हड्डी का समायोजन करनेमें और इम्प्लांट प्लेसमेंट में मदद मिलती है। रोबोटिक की मदद से होने वाली घुटने की सर्जरी (आरएएस) में घुटने के इम्प्लांटके सटीक प्लेसमेंट और संरेखण (अलायनमेंट) में सहायता मिलती है, टिशू (ऊतक)को होने वाली क्षति और रक्तस्राव कम होता है, स्वास्थ्य में तेज़ी से सुधार होता है, अस्पताल में रहने की अवधि कम होती है और ऑपरेशन के बाद होने वाली मुश्किलों की संभावना कम होती है।

भारत में हर साल 2.5 लाख से अधिक लोग घुटने का रिप्लेसमेंट कराते हैं, जो लगभग पांच साल पहले के आंकड़े के मुकाबले ढाई गुना है। यह समझना जरूरी है कि भारत में सालाना घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की ज़रुरत मौजूदा संख्या से 7-8 गुना अधिक है। आर्थराइटिस का अब तक कोई इलाज नहीं निकल सका है, लेकिन उपचार की नई रणनीतियों सेलंबे समय तक राहत प्रदान करने में मदद मिल रही है। उपचार की विभिन्न पारंपरिक तकनीक प्रभावी है, लेकिन ऑपरेशन में रोबोट को शामिल करने से मरीज़ को अधिक सटीक परिणाम मिल सकते हैं। चिकित्सा प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स और परिशुद्धता (प्रेसिज़न) उपकरणों में प्रगति से पारंपरिक सर्जरी के परिणाम बेहतर हुए हैं। इसलिए, इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए और समय पर मददतथा उपचार से जुड़ी जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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