Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

हिरासत में लेकर पूछताछ या जांच का अधिकार सच्चाई सामने लाने के लिए अहम: सुप्रीम कोट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ या जांच अन्वेषण एजैंसियों के हित में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और किसी आरोपी को अपने आचरण से न्यायिक प्रक्रिया को विफल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। शीर्ष कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर अपील पर यह फैसला सुनाया। सीबीआई ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा167(2) के तहत आरोपी को कानूनी व स्वत: जमानत के तहत रिहा करने को कहा गया था।

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने विशेष न्यायाधीश द्वारा 16 अप्रैल 2021 को पारित आदेश के आधार पर सीबीआई को आरोपी की 4 दिन की हिरासत लेने की अनुमति दे दी। विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई को आरोपी की 7 दिन की हिरासत दी थी लेकिन वह ढाई दिन ही पूछताछ कर सकी और पूरे 7 दिन पूछताछ करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकी। शीर्ष कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों को ‘बहुत ही स्पष्ट’ करार देते हुए कहा कि विशेष न्यायाधीश द्वारा 16 अप्रैल 2021 को आरोपी की 7 दिन की हिरासत पुलिस (सीबीआई) को दी गई थी जबकि आरोपी 18 अप्रैल 2021 को अस्पताल में भर्ती हो गया और 21 अप्रैल 2021 को अंतरिम जमानत ले ली जिसका विस्तार 8 दिसम्बर 2021 तक हो गया।

कोर्ट ने रेखांकित किया कि अंतरिम जमानत विशेष न्यायाधीश ने तब रद्द की जब पाया कि आरोपी उसे दी गई आजादी का दुरुपयोग कर रहा है और जांच एजैंसी से सहयोग नहीं कर रहा है। पीठ ने कहा कि आरोपी ने विशेष न्यायाधीश द्वारा दी गई पुलिस हिरासत के पूर्ण अनुपालन से ‘सफलतापूर्वक बचा। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सच है कि अनुपम जे कुलकर्णी मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि गिरफ़्तारी के दिन से पुलिस हिरासत 15 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘हमारी राय है कि अनुपम जे कुलकर्णी मामले में इस अदालत ने जो रुख अपनाया, उस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।’

Exit mobile version