नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक एवं दूरगामी फैसले में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के केन्द्र सरकार के निर्णय को सोमवार को उचित ठहराते हुए आजादी के बाद से लगातार विवाद का विषय बने इस मुद्दे पर पटाक्षेप किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यह फैसला एक मजबूत और अधिक एकजुट भारत के निर्माण की आशा की किरण है।
वहीं, विभिन्न राजनीतिक दलों ने न्यायालय के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है। शीर्ष न्यायालय ने सीमावर्ती राज्य को दो केन्द्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं का आज निस्तारण करते हुए केन्द्र सरकार के पांच अगस्त, 2019 के निर्णय काे संविधान सम्मत ठहराया। न्यायालय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक एकीकरण की प्रक्रिया क्रमवार चल रही थी और अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने अपने सर्वसम्मत फैसले में विशेष दर्जा समाप्त करने के मामले में राष्ट्रपति द्वारा जारी किये गया आदेश को वैध करार दिया।
शीर्ष अदालत ने आज के फैसले में राज्य विधानमंडलों की शक्तियों का प्रयोग करने के संसद के विशेषाधिकार को भी बरकरार रखा है। मामले की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा बहाल करने के लिए 30 सितंबर 2024 तक वहां विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि अगस्त, 2019 के केन्द्र के निर्णय में जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठन कर लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को केन्द्रशासित प्रदेश बनाते समय जम्मू-कश्मीर में समय पर विधानसभा बहाल करने की घोषणा की थी।
मुख्य न्यायाधीश द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 विशेष परिस्थितियों के लिए एक अस्थायी प्रावधान था। संविधान के अनुच्छेद एक और 370 में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि जम्मू- कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसके पास भारत के अन्य राज्यों से अलग कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। शीर्ष अदालत ने अपने मुख्य फैसले में राज्य विधानमंडलों की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अनुच्छेद 356 (1) (बी) के तहत संसद को प्राप्त शक्ति को बरकरार रखा है। संविधान पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर राज्य में लागू करने के लिए अनुच्छेद 370(1)(डी) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया आदेश वैध है। पीठ ने आगे कहा, “शक्ति का ऐसा प्रयोग केवल इसलिए दुर्भावनापूर्ण नहीं माना जा सकता है कि इसमें विभिन्न प्रावधानों को टुकड़ों में बांटे बिना एक साथ लागू किया गया।”