Semiconductor Policy : भारत की सेमीकंडक्टर नीति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नई ऊर्ज का काम करेगी। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने यह बात कही है। उन्होंने इसे रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के लिए महत्वपूर्ण बताया है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने यह बात मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहीं। उन्होंने निजी क्षेत्र से जुड़े उद्योगों से आगे आकर देश को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देने के लिए कहा हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है, तो निजी उद्योग को रक्षा विनिर्माण में आगे आना होगा। नौसेना प्रमुख का कहना है कि रक्षा मंत्रालय ने इस वर्ष ‘इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस’ योजना के लिए 450 करोड़ का बजट अलग से रखा है। इस बजट के माध्यम से स्टार्टअप और छोटे और मध्यम उद्यमों को इनोवेशन में मदद की जाएगी।
नौसेना प्रमुख के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने उनके आधुनिकीकरण बजट का 75 प्रतिशत रक्षा उद्योग के लिए निर्धारित किया है और यह लगभग 1 लाख करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि इसमें भी निजी रक्षा उद्योग के लिए 25 प्रतिशत बजट निर्धारित किया गया है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी का कहना है कि इस वर्ष, ‘इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस’ योजना के लिए 450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। एडमिरल त्रिपाठी के मुताबिक वर्ष 2018 में इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस की स्थापना की गई थी जिसके बाद से इस योजना के तहत 400 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। अब सेमीकंडक्टर नीति से सकारात्मक उम्मीदें हैं। खासकर प्रौद्योगिकी-संचालित भारतीय नौसेना को इससे काफी उम्मीदें हैं। नौसेना का कहना है कि यह नई नीति निश्चित रूप से नागरिक और रक्षा दोनों क्षेत्रों को लाभान्वित करेगी।
उनका यह भी मानना है कि यह नीति अर्थव्यवस्था के लिए नई ऊर्ज की तरह काम करेगी। एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि नई नीति में कई छोटी परियोजनाओं को 1.5 करोड़ रुपए तक का अनुदान देने का प्रावधान है। वहीं अदिति योजना में बेहतर काम करने वाली प्रौद्योगिकियों के लिए 25 करोड़ रुपए तक का वित्तपोषण का प्रावधान है। इन प्रौद्योगिकियों को यह वित्तपोषण राशि दी जा रही है। उन्होंने नौसेना की भविष्य की प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उद्योग जगत के लीडर्स के साथ सहयोग का आह्वान किया। नौसेना प्रमुख ने भारतीय उद्योगों के साथ काम करने के लिए नौसेना के नए दृष्टिकोण पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम ग्राहक से सहयोगी, व्यापारी से भागीदार बन गए हैं।
इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत का तकनीकी क्षेत्र विस्तार ले रहा है और अगले पांच वर्षों में इसके 300-350 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि 1.25 लाख से अधिक स्टार्ट-अप और 110 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर यानी 8200 करोड़ रुपए से ज्यादा वैल्यूएशन वाली स्टार्टअप कंपनी) के साथ हमारा देश दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्ट-अप प्रणाली के रूप में उभर रहा है। भारत का दूरसंचार क्षेत्र अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। राजनाथ सिंह ने कहा यूपीआई जैसी पहलों की सफलता के साथ, भारत डिजिटल लेनदेन में वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है। हम एक अद्वितीय डिजिटल क्रांति की कगार पर हैं। रक्षा मंत्री ने 24 फरवरी को आईआईटी मंडी के 16वें स्थापना दिवस पर यह बातें कहीं।