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शेहला राशिद ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 से पहले घाटी में सेना की कार्रवाई पर एजेंडा चलाने वालों को किया ‘बेनकाब’

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 से पहले भारतीय सेना की कार्रवाई पर एजेंडा चलाने वालों को निशाने पर लिया। शेहला राशिद ने बुधवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि घाटी से अनुच्छेद-370 हटने के बाद से सेना को लेकर मेरे विचार बदले हैं। जो पहले हम देखते थे कि आर्मी घर के अंदर आ रही है, लोगों से पूछताछ कर रही है, हमारी जो आर्मी की छवि है, उसी चीज से क्रिएट की गई। लेकिन, हमने कभी यह नहीं पूछा और ना ही किसी ने पूछने दिया कि यह सब कुछ कहां से स्टार्ट हो रहा है, स्टार्ट तो वहां से हो रहा है, जब पाकिस्तान आर्म्ड टेररिस्ट कश्मीर के अंदर भेज रहा है। लेकिन, मैं चाहती हूं कि आज की जम्मू-कश्मीर की युवा पीढ़ी जरूर सवाल पूछे कि इसका शुरुआती पॉइंट क्या है?

उन्होंने कहा कि आज भी हम देखते हैं, पीर पंजाल खासकर जम्मू के रीजन में आतंकी घटनाएं होती हैं। आर्मी को सर्च ऑपरेशन के लिए जाना पड़ता है। उसकी वजह उन्हें लोगों के घरों में भी घुसना पड़ता है, सवाल-जवाब के लिए लोगों को भी उठाना पड़ता है। इसकी वजह से एंटी आर्मी सेंटीमेंट्स बन जाता था। इसके बारे में मैंने अपनी किताब में भी चर्चा की है। उसे मैंने खासतौर पर लिखा है किस तरह से पाकिस्तान आतंकी घटनाएं करके जम्मू-कश्मीर में एंटी इंडिया और एंटी आर्मी सेंटीमेंट को बढ़ावा देता है।

आईएएनएस से बात करते हुए शेहला राशिद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह केवल विपक्ष की जिम्मेदारी नहीं है। आपने देखा कि मंगलवार को नागपुर में मुसलमानों ने एक मार्च निकाला, जिसमें उन्होंने इस चीज पर अपनी आवाज उठाई। लेकिन, विपक्ष की बात नहीं है। मैं पूरे विपक्ष की प्रवक्ता नहीं हूं। लेकिन, नेहरू-गांधी परिवार को इस पर जरूर बोलना चाहिए। यह इंदिरा गांधी की विरासत है। उन्होंने बांग्लादेश को आजाद करवाया था। उसमें बहुत सारे हिंदुस्तानी और बांग्लादेशियों की शहादत शामिल है। मेरी यह जरूर अपेक्षा है कि नेहरू-गांधी परिवार इस विषय पर जरूर बोलेंगे।

इस दौरान उन्होंने गांधी परिवार का बिना नाम लिए कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ पार्टियां हमें इस धोखे में रख रही हैं कि जब तक उनके परिवार से कोई प्रधानमंत्री पद ना संभाले, तब तक हम (मुस्लिम समाज) प्रोग्रेस नहीं कर सकते हैं। हमने देखा कि सच्चर कमेटी रिपोर्ट जो दिखाती है, किस तरह से जो खुद को सेकुलर पार्टी बताती है, उनके रहते हुए किस तरह से मुसलमान सबसे पिछ़डे रह गए। मतलब, एससी, एसटी समाज से भी ज्यादा मुसलमान कई सेक्टर में पीछे रह गए हैं। इसका मतलब ऐसा नहीं है कि कोई गवर्नमेंट आ जाएगी, वह हमारे हालात ठीक कर देगी या यह गवर्नमेंट हमें कुछ देगी। हमें खुद से सब कुछ करना पड़ेगा। खुद से एजुकेशन के लिए प्रयास करना पड़ेगा, खुद से अपने बच्चों को एक्सीलेंस, स्किल, सही एक्स्पोजर देना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यही चाहते हैं। खुद से अपने अंदर रिफॉर्म करें। उन्होंने मुसलमानों को एक मैसेज दिया था, आप इन सबमें मत पड़ो, हमें किसी की हुकूमत गिरानी है, किसकी बनानी है, किसकी हिमायत करनी है। आप अपने आप पर विश्वास रखें कि कितना एजुकेशनली आप आगे बढ़ते हैं। इस चीज का जिक्र मैंने अपनी किताब में भी किया है।

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