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देशभर में धूमधाम से मनाया श्री गुरुनानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व, जानिए गुरु जी दस शिक्षाएं

नयी दिल्ली: सिख समाज के पहले गुरु गुरुनानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व शुक्रवार को राजधानी दिल्ली सहित देशभर में पारंपरिक हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश के अन्य गणमान्य नेताओं ने लोगों को गुरुनानक देव की जयंती की बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर ट्वीट किया, “ गुरुनानक जयंती की सभी को हार्दिक बधाई। गुरुनानक देव जी की शिक्षा हमें करुणा, दया और विनम्रता की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करें। यह शिक्षाएं हमें समाज की सेवा करने और अपने ग्रह को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करें।”

गुरु नानक की 10 प्रमुख शिक्षाएं

गुरु नानक देव जी ने एक नए सिख धर्म की नींव रखी थी, जिसे आज दुनिया का सबसे प्रगतिशील धर्म माना जाता है। उन्होंने मानवता, एकता, सेवा और सच्चे प्रेम जैसे उच्च आदर्शों को दुनिया के सामने रखा। उनके उपदेशों ने करोड़ों लोगों के जीवन को बदल दिया। नानकदेव जी का प्रकाश पर्व हमें आध्यात्मिक जागरण और आत्म-साक्षात्कार के लिए प्रेरित करता है। आइए इस शुभ मौके पर जानते हैं उनकी 10 प्रमुख शिक्षाएं।

1. एक ओंकार: परम पिता परमेश्वर एक हैं। वह सभी जगह विद्यमान हैं। हमेशा एक ईश्वर की साधना में मन लगाना चाहिए।

2. सतनाम: सतनाम का अर्थ है सत्य का नाम। गुरु नानक जी ने सत्य, ईमानदारी, और धर्म के मार्ग पर चलने की महत्वपूर्णता को बताया है।

3. नाम जप: गुरु नानक जी ने नाम जपने की सलाह दी, जिससे आत्मा को शांति और आनंद मिलता है। नाम जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है।

4, कीरत करो: जीवन में कर्म के बिना कुछ भी नहीं मिलता है। मानव जीवन का उद्देश्य है कि अच्छे कर्म करते रहिए। हमेशा ईमानदारी और मेहनत से धन कमाकर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करना चाहिए। इससे ही कीर्ति बढ़ती है।

5. वंड छको: वंड छको का अर्थ है साझा करना और दूसरों की मदद करना। गुरु नानक जी ने सामाजिक न्याय, एकता और सहयोग की विशेषता को समझाया। इसलिए मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से कुछ हिस्सा गरीब लोगों को दान करना चाहिए।

6. समानता: सभी को समान नजरिये से देखें। जाति, जन्म, हैसियत आदि के कारण और स्त्री-पुरुष में भेदभाव करना गलत है। गुरु नानक की यह सीख सिख धर्म की स्थापना का आधार है।

7. सरबत दा भला: सरबत दा भला का मतलब है, सबकी भलाई के लिए काम करना। गुरु नानक जी ने सभी मनुष्य मात्र के हित के लिए काम करने की बात की है।

8. संतोख: गुरु नानक जी ने संतोख यानी संतोष को जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण को बताया है। संतोषरूपी धन जिसके पास होता है, वह परम सुखी होता है। कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए, जब कोई दूसरों का हक छीनता है, तो उसे सम्मान नहीं मिलता है।

8. करुणा और दया: गुरु नानक जी ने अपनी शिक्षाओं में दयालुता और करुणा को बेहद महत्वपूर्ण बताया है और दूसरों के प्रति दया रखने की सीख दी है।

10. हमेशा खुश रहे: मनुष्य को हमेशा खुश रहना चाहिए और ईश्वर से अपनी गलतियों के लिए क्षमा-याचना करना चाहिए। जीवन में लोभ का त्याग करें और मेहनत से ही धन और आजीविका जुटाएं।

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