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अतीक के काफिले पर हमले के इनपुट थे : DGP प्रशांत कुमार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने गुरुवार को खुलासा किया कि साबरमती जेल से पुलिस अभिरक्षा में प्रयागराज की विशेष अदालत में पेशी के लिये लाये जा रहे माफिया अतीक अहमद को छुड़ाने के लिये पुलिस काफिले पर हमले की योजना थी। झांसी के बड़ागांव क्षेत्र में पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ मुठभेड़ में अतीक अहमद के बेटे असद और उसके साथी गुलाम के मारे की पुष्टि करते हुये कुमार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रयागराज में उमेश पाल हत्या के आरोपियों की तलाश में पुलिस पिछले डेढ़ महीने से खाक छान रही थी। पुलिस को पुख्ता जानकारी मिली थी कि असद और गुलाम झांसी में है। सूचना के आधार पर एसटीएफ के दस्ते ने उनका पीछा किया।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) एसटीएफ अमिताभ यश के साथ कुमार ने कहा कि सूचना के आधार पर दोपहर साढ़े 12 बजे से एक बजे के बीच झांसी जिले के बड़ागांव क्षेत्र के पारीछा के पास कुछ लोगों को रोका गया, जिस दौरान बदमाशों ने फायरिंग करते हुये भागने का प्रयास किया। जवाबी कार्रवाई में दो आरोपी घायल हो गये और बाद में उनकी मौत हो गयी। दोनो की पहचान अतीक के बेटे असद और गुलाम के रुप में हुई। उन्होने कहा कि पूरे ऑपरेशन को एसटीएफ की टीम ने अंजाम दिया, जिसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) नवेंदु कुमार और डीएसपी विमल कुमार सिंह कर रहे थे। मारे गए बदमाशों के पास से 455 बोर की एक ब्रिटिश बुलडॉग रिवॉल्वर और वाल्थर पी88 पिस्टल समेत अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए हैं।

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का नाम लिए बगैर कुमार ने कहा कि उमेश पाल हत्याकांड में नामजद दो आरोपियों को गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल और बरेली जेल से लाया गया है। उन्होंने कहा ‘‘पुलिस के पास इनपुट थे कि काफिले पर हमला करके अभियुक्तों को छुड़ाने का प्रयास किया जा सकता है, जिस पर विशेष बल तैनात किये गये थे।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और डीजीपी मुख्यालय के निर्देशानुसार आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस), एसटीएफ और सिविल पुलिस अपराधियों और माफियाओं का सफाया करना जारी रखेगी। ऑपरेशन में शामिल एसटीएफ टीम की डीजीपी स्तर और राज्य सरकार द्वारा प्रशंसा की गई है। कुमार ने कहा कि पुलिस के साथ मुठभेड़ में अब तक 183 अपराधी मारे जा चुके हैं जबकि इस दौरान 13 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए हैं।

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