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बेटा हो गया शहीद, बहू ने छोड़ा घर, Captain Anshuman Singh की माँ का छलका दर्द, NOK को लेकर कही ये बात….

Captain Anshuman Singh Kirti Chakra: हाल ही में राष्ट्रपति भवन में रक्षा अलंकरण समारोह 2024 का आयोजन किया गया जहां पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा देश के वीर जवानो को सम्मानित किया गया। उन्ही में से एक थे कैप्टन अंशुमन। जो सियाचिन में शहीद हो गए। जिन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। यह मरणोपरांत कीर्ति चक्र उनकी माता और पत्नी स्मृति ने राष्ट्रपति से यह सम्मान हासिल किया। आपको बता दे कि इस कार्यक्रम में पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए थे।

ये सम्मान लेते समय उनकी पत्नी ने एक बात कही जिसके बाद हर किसी की आंखे नम हो गई उन्होंने बताया कि कैप्टन अंशुमन बहुत सक्षम थे। वे अक्सर कहा करते थे, ‘’मैं अपने सीने पर गोली खाकर मरना चाहता हूं। मैं आम आदमी की तरह नहीं मरना चाहता, जिसे कोई जान ही न पाए।

जिसके बाद मरणोपरांत कीर्ति चक्र लेने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी बहुत वायरल हुईं। शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह की कहानी जानकर हर किसी का दिल दहल जाएगा। दरअसल, जिस वीरता से उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने साथियों की जान बचाई और खुद शहीद हो गए।

लेकिन मरणोपरांत कीर्ति चक्र मिलने के बाद माता और स्मृति से जुड़ी बहुत सी खबरें सामने आ रहीं है। जिसमे कैप्टन अंशुमन की माता मंजू ने बताया कि मरणोपरांत कीर्ति चक्र को छीनने जैसा कुछ नहीं हुआ। उन्हें नहीं पता है कि आखिर उनकी बहु ने ऐसा क्यों बोले ये उन्हें नहीं पता। अंशुमन की माता आगे बतातीं है कि वो खुद एक फौजी की पत्नी है और उन्हें पता है कि उनके क्या राइट्स है। वो मेरा बेटा था बस मेरा यही राइट था। उन्हें बिलकुल नहीं पता है की स्मृति ने कीर्ति चक्र को लेकर छीनने जैसी बात क्यों कही है। आगे उन्होंने कहा कि, एक माता-पिता के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र ही बहुत मान सम्मान की बात होती है।

बेटे के मौत के बाद बहू स्मृति छोड़ा घर:

कैप्टन अंशुमन की माता मंजू ने बताया कि, उनके बेटे की मौत के बाद उनकी बहू स्मृति सिंह ने उनका घर छोड़ दिया है और अब ज्यादातर लाभ उठा रही है। उन्होंने कहा कि बहू स्मृति हमारे साथ नहीं रह रही है ये उन्हें भी नहीं पता है की आखिर वो ऐसा क्यों कर रही है। उन्हें इस बात का बहुत दुःख है कि वो अपने बेटे के मरणोपरांत कीर्ति चक्र को एक बार देख भी नहीं पायी। उन्होंने बताया कि केवल राष्ट्रपति भवन उन्होंने एक बार कीर्ति चक्र छुआ था उसके बाद उनकी इच्छा थी की उनकी बहु उन्हें एक बार कीर्ति चक्र को खोल कर देखने के लिए दे।

इसके बाद वो बतातीं है कि, उनकी बहु चार दिन रही वो इंतज़ार कर रही कि उनकी बहु ने एक बार भी उनकी तरफ देखे लेकिन उसने उनकी तरफ एक बार भी नहीं देखा। उन्होंने बोला कि, मैंने भी अपना बेटा खोया लेकिन स्मृति ने एक बार उन्हें नहीं देखा और अपने मायके चली गयी और अपने माता पिता के साथ रहने लगी है। वो चार दिन से इंतज़ार कर रही थी की स्मृति उनसे एक बार बात करें और कीर्ति चक्र देखने को बोले। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिसका उन्हें बहुत दुख है। वो ऐसा कुछ नहीं चाहती थी समाज में इस तरह का कुछ हो।

बेटा खोने के बाद माँ ने कई ये बात:

माता मंजू ने कहा कि, मीडिया के जरिये स्मृति को भी पता चल रहा है की माँ ने भी अपना बेटा खोया है और उन्हें भी पता चले की माँ के दिल पर क्या गुजर रही है। इस बात का उन्हें कितना दुःख है। ताकि वो हमारी इस बात को समझे। वो कहती है कि मै इतनी बदनसीब हूँ कि बेटे को भी खो दिया और उनका सम्मान भी एक बार हाथ नहीं ‘में नहीं ले पाई। वो अभी तक 19 तारिक को नहीं भूल पायी है मुझे नींद नहीं आती न ही भूख पियास लगती है। माँ ने बताया कि कैप्टन अंशुमन के पिता को छूना तक नसीब नहीं हुआ।

NOK में बदलाव की मांग:

कैप्टन अंशुमन के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि, इसलिए वे चाहते हैं कि NOK की परिभाषा तय की जाए। यह तय किया जाए कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है तो किस पर कितनी निर्भरता है। कैप्टन सिंह के पिता ने कहा कि वे चाहती हैं कि सरकार NOK नियमों पर फिर से विचार करें ताकि अन्य माता-पिता को परेशानी ना उठानी पड़े।

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