नेशनल डेस्क: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में स्थित जागेश्वर धाम मंदिर में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूजा-अर्चना करेंगे। मंदिर को 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। यह मंदिर देखने में जितना खूबसूरत और भव्य है वहीं वहां पर उतनी ही शांति भी है। यह मंदिर कई मायनों में काफी खास है। मंदिरों के समूह और ज्योतिर्लिंगों आदि के लिए जागेश्वर का नाम इतिहास में दर्ज है।
जागेश्वर धाम भगवान शिव का मंदिर ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है। शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण आदि पौराणिक कथाओं में भी मंदिर का उल्लेख है। मंदिर में शिलालेख, नक्काशी और मूर्तियां एक खजाना है। जाटगंगा नदी की घाटी में स्थित मंदिर में वास्तुकला और इतिहास के लिहाज से भी कई पौराणिक सामग्री हैं।
करीब 124 मंदिर हैं यहां
मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव और सप्तऋषियों ने अपनी तपस्या की थी। इस जगह से ही शिव लिंग को पूजा जाने लगा था। इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि इसे गौर से देखने पर इसकी बनावट बिल्कुल केदारनाथ मंदिर की तरह नजर आती है। इस मंदिर के अंदर करीब 124 ऐसे छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं जो इसे और खास बनाते हैं। मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मनाेकामनाएं पूरी होती हैं।
इन देवताओं की होती है पूजा
जागेश्वर धाम में मुख्य तौर पर शिव, विष्णु, शक्ति और सूर्य देव की पूजा होती है। दंडेश्वर मंदिर, चंडी-का-मंदिर, जागेश्वर मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नंदा देवी या नौ दुर्गा, नवग्रह मंदिर और सूर्य मंदिर यहां के प्रमुख मंदिर हैं। पुष्टि माता और भैरव देव की भी पूजा होती है।