तेलंगाना की गजवेल विधानसभा सीट पर केसीआर और राजेंद्र के बीच रोमांचक मुकाबला

हैदराबाद: तेलंगाना में 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में गजवेल निर्वाचन क्षेत्र में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख एवं मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) और उनके पूर्व सहकर्मी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक इटाला राजेंद्र के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। कांग्रेस ने केसीआर के मुकाबले तुमकुंतला नरसा.

हैदराबाद: तेलंगाना में 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में गजवेल निर्वाचन क्षेत्र में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख एवं मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) और उनके पूर्व सहकर्मी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक इटाला राजेंद्र के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। कांग्रेस ने केसीआर के मुकाबले तुमकुंतला नरसा रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। केसीआर गजवेल और कामरेड्डी सीटों से नौ नवंबर को अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं। राजेंद्र ने शीर्ष नेतृत्व से टकराव के बाद जून 2021 में बीआरएस (तब टीआरएस) छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे।

बाद में उन्होंने हुजूराबाद सीट से उपचुनाव लड़ा था और जीत गए थे। भाजपा विधायक ने पहले कहा था कि वह गजवेल में राव के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे और उन्हें हराएंगे। हैदराबाद से करीब 60 किलोमीटर दूर गजवेल में बुनियादी ढांचे में खासा विकास देखा गया है और उसे बीआरएस सरकार द्वारा लागू कल्याणकारी उपायों से काफी फायदा मिला है। गजवेल 2012 तक एक पंचायत थी और उसके बाद उसे तीन ग्राम पंचायतों और पांच अन्य कस्बों का विलय कर नगर पंचायत में बदल दिया गया।

मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने 2018 और 2014 में भी गजवेल से जीत हासिल की थी। उन्होंने 2018 में 50,000 से अधिक मतों के अंतर से कांग्रेस के वी प्रताप रेड्डी को हराया था। 2014 में भी प्रताप रेड्डी ने केसीआर के खिलाफ चुनाव लड़ा था और करीब 20,000 मतों के अंतर से उन्हें शिकस्त मिली थी। प्रताप रेड्डी 2018 के बाद बीआरएस में शामिल हो गए और अब वह राज्य सरकार द्वारा संचालित तेलंगाना राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष हैं।

गजवेल में बीआरएस के चुनाव प्रचार अभियान के प्रभारी प्रताप रेड्डी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भाजपा ने मुदीराज समुदाय से आने वाले राजेंद्र को प्रत्याशी बनाया है जो केवल जातिगत मतों पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि इस निर्वाचन क्षेत्र में मुदीराज समुदाय के करीब 38,000 से 40,000 वोट हैं और राजेंद्र संभवत: सभी वोट हासिल न कर पाएं। रेड्डी ने कहा कि वहां एक लाख से अधिक लोग सामाजिक पेंशन जैसी सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाते हैं और ‘रायथु बंधु’ योजना का लाभ उठाने वाले ज्यादातर लोग मुख्यमंत्री के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।

राजेंद्र ने 25 अक्टूबर को अपने आवास से समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था कि हालांकि, वह गजवेल से नहीं है लेकिन गजवेल के लोग पिछले 20 साल से उन्हें और उनके समर्पण को जानते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार नरसा रेड्डी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि केसीआर और राजेंद्र दोनों ही गजवेल के स्थानीय निवासी नहीं है और वे इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ भी अच्छा काम नहीं करेंगे। एक स्थानीय निवासी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा, ‘‘अगर राजेंद्र गजवेल से चुनाव नहीं लड़ रहे होते तो केसीआर आसानी से जीत जाते। राजेंद्र के चुनाव लड़ने से अब राव को अपने निर्वाचन क्षेत्र में अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पड़ सकती है।’’

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