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दार्जिलिंग में मेलेनिस्टिक तेंदुओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाए जाएंगे ट्रैप कैमरे

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले की पहाड़ियों में मेलेनिस्टिक तेंदुओं की आवाजाही पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने ट्रैप कैमरे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।पिछली बार वनकर्मियों ने कुर्सेओंग की पहाड़ियों में इस तरह के मेलेनिस्टिक तेंदुए को 14 अक्टूबर को देखा था। राज्य वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अक्सर आम लोग “मेलेनिस्टिक तेंदुए” को “काला पैंथर” समझ लेते हैं।

अधिकारी ने कहा, “मगर दोनों प्रजातियां अलग-अलग हैं। मेलेनिस्टिक तेंदुए सामान्य तेंदुए होते हैं, जिनके कोट का रंग डीएनए असंतुलन के कारण काला होता है। हालांकि मेलेनिस्टिक तेंदुए जानवरों की दुर्लभ प्रजाति हैं। लेकिन, पिछले कुछ सालों में उन्हें कई बार पहाड़ियों में देखा गया है। इसलिए राज्य वन विभाग ने उनकी गतिविधियों पर नजर रखने और क्षेत्र में मौजूद ऐसी प्रजातियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए क्षेत्र में ट्रैप कैमरे लगाने का फैसला किया है।”

कुरसेओंग के विभिन्न हिस्सों में आठ ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, क्‍योंकि भाेजन की तालाश में उन्‍हें अक्‍सर चाय बागानों के पास देखा जाता है। अधिकारी ने कहा कि अगले महीने ऐसे और ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। बता दें कि नवंबर 2020 में मिरिक क्षेत्र में पहली बार मेलेनिस्टिक तेंदुआ देखा गया था। इसके बाद नवंबर 2022 में मानेभंजन क्षेत्र में ऐसी ही एक प्रजाति देखने को मिली।

2023 में फिर से अप्रैल और नवंबर में इस क्षेत्र में ऐसी प्रजाति देखी गई। 2024 में, इस क्षेत्र में पहली बार जून में और फिर आखिरी बार 14 अक्टूबर को मेलेनिस्टिक तेंदुआ देखा गया।
राज्य वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में तेंदुओं की कुल आबादी लगभग दोगुनी हो गई है। अब मेलेनिस्टिक तेंदुओं के दिखने से यह क्षेत्र पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए और भी आकर्षक हो गया है।

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