कोलकाता कांड से नाराज तृणमूल सांसद ने राज्यसभा से दिया इस्तीफा

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद जवाहर सरकार ने रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता तथा राजनीति छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने आरजी कर अस्पताल की चिकित्सक से कथित बलात्कार व उसकी हत्या के मामले में राज्य सरकार द्वारा उठाए.

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद जवाहर सरकार ने रविवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता तथा राजनीति छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने आरजी कर अस्पताल की चिकित्सक से कथित बलात्कार व उसकी हत्या के मामले में राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम को ‘अपर्याप्त और काफी देर से उठाया गया’ बताया है। पत्र में, जवाहर सरकार ने कहा कि राज्य सरकार से उनका ‘मोहभंग’ हो गया है, क्योंकि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और नेताओं के एक वर्ग के बल प्रयोग की रणनीति के प्रति ‘बिल्कुल भी चिंतित नहीं’ है। चिकित्सक की मौत पर विरोध प्रदर्शन को स्वत: स्फूर्त बताते हुए सेवानिवृत्त आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी ने कहा कि उन्होंने किसी सरकार के खिलाफ ‘ऐसा गुस्सा और घोर अविश्वास’ कभी नहीं देखा।

उन्होंने पत्र में लिखा, ‘दलगत राजनीति में सीधे शामिल हुए बिना सांसद बनने का मुख्य उद्देश्य यह था कि इससे भाजपा और उसके प्रधानमंत्री की निरंकुश व सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच मिलेगा। इसे लेकर मुङो कुछ हद तक संतुष्टि है और संसद में चर्चा के दौरान मैंने कई बार हस्तक्षेप किए..।’ जवाहर सरकार ने कहा कि तृणमूल में शामिल होने के एक साल बाद 2022 में, वह पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ भ्रष्टाचार के ‘खुले सबूत’ देखकर ‘काफी हैरान’ रह गए। उन्होंने कहा, ‘मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि पार्टी और (राज्य) सरकार को भ्रष्टाचार से निपटना चाहिए, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुङो ही घेर लिया। मैंने तब इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि मुङो उम्मीद थी कि आप (ममता बनर्जी) ‘कट मनी’ और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना सार्वजनिक अभियान जारी रखेंगी, जिसे आपने एक साल पहले शुरू किया था।’

पूर्व नौकरशाह ने कहा कि उन्हें उनके शुभचिंतकों ने सांसद बने रहने के लिए मनाया, ताकि वह ‘ऐसे शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रख सकें जो भारतीय लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता के लिए अब तक का सबसे बड़ा खतरा है।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैंने संसद में अपना काम पूरे उत्साह के साथ किया, लेकिन धीरे-धीरे मेरा मोहभंग होता गया क्योंकि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और नेताओं के एक वर्ग के बढ़ते बल प्रयोग के प्रति बिल्कुल भी चिंतित नहीं दिखी।’ चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए जवाहर सरकार ने कहा कि यह ‘स्वत: स्फूर्त जनाक्रोश’ कुछ खास लोगों और भ्रष्ट लोगों के रवैये के खिलाफ है। सरकार ने पत्र में कहा, ‘आरजी कर अस्पताल में हुई भयावह घटना के बाद एक महीने तक मैंने धैर्यपूर्वक पीड़ा सही और उम्मीद कर रहा था कि आप (ममता बनर्जी) अपनी पुरानी शैली में आंदोलनकारी जूनियर डाक्टरों के साथ सीधे बात करेंगी। ऐसा नहीं हुआ और राज्य सरकार अब जो भी दंडात्मक कदम उठा रही है, वह बहुत अपर्याप्त हैं और काफी देर से उठाए जा रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘वे लोग राजनीति नहीं चाहते, वे न्याय और सजा चाहते हैं। हमें खुलकर विश्लेषण करना चाहिए और समझना चाहिए कि यह आंदोलन जितना अभया (पीड़िता को दिया गया नाम) के लिए है, उतना ही राज्य सरकार और पार्टी के खिलाफ भी है। इसके लिए तत्काल सुधार की जरूरत है, अन्यथा सांप्रदायिक ताकतें इस राज्य को अपने गिरफ्त में ले लेंगी।’ सरकार ने दावा किया कि उन्होंने यह पत्र इसलिए लिखा कि उन्हें महीनों तक मुख्यमंत्री बनर्जी से व्यक्तिगत रूप से बात करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही दिल्ली जाएंगे और राज्यसभा के सभापति को अपना इस्तीफा सौंपेंगे तथा राजनीति से खुद को अलग कर लेंगे।

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