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विश्वकर्मा योजना को मिली केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति

नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के परंपरागत कामगारों के कौशल विकास और उनको वित्तीय मदद के लिए 13 हजार करोड़ रुपए की विश्वकर्मा योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि विश्वकर्मा योजना में ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों, शिल्पकारों और कारीगराें का कौशल विकास किया जाएगा।

इस योजना में देशभर से 30 लाख कामगारों का चयन किया जाएगा। एक परिवार से एक ही व्यक्ति का चयन होगा। चयनित कामगारों को आधुनिक कौशल एवं अत्याधुनिक कौशल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक कामगार को 500 रुपए की वृत्ति भी मिलेगी। कामगारों का चयन ग्राम पंचायत, ब्लाक पंचायत और जिला पंचायत के माध्यम से होगा। राज्य सरकारों की इस योजना में महत्वपूर्ण भूमिका होगा लेकिन पूरा व्यय भार केंद्र सरकार का होगा। योजना के लिए आवेदन सीएससी केंद्रों के माध्यम से किया जा सकेगा।

वैष्णव ने बताया कि विश्वकर्मा योजना में 18 परंपरागत व्यवसायों को शामिल किया जाएगा। इन व्यवसायों में राजमिस्त्री, बढई- सुथार, लोहे का काम करने वाले- लोहार, चमड़े का काम करने वाले, जूते-चप्पल बनाने वाले, हथौडा और अन्य उपकरण बनाने वाले, सुनार, ताले बनाने वाले, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले – कुंभकार, मूर्तिकार, सरकंडों से टोकरी आदि बनाने वाले, परंपरागत गुड़िया और खिलौने आदि बनाने वाले, नाई, फूल माला बनाने वाले , धोबी, दर्जी और मछली जाल तथा नाव – नौका बनाने वाले शामिल हैं।

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