नई दिल्ली: साख निर्धारित करने वाली एजैंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि अमरीका के जवाबी शुल्क का भारत पर कोई खास प्रभाव नहीं होगा। इसका कारण यह है कि अर्थव्यवस्था को घरेलू कारकों से गति मिल रही है जबकि निर्यात पर निर्भरता कम है। एशिया-प्रशांत एसएंडपी ग्लोबल के सॉवरेन और इंटरनैशनल पब्लिक फाइनांस रेटिंग के निदेशक यीफर्न फुआ ने कहा कि भारत अगले 2 साल में 6.7 से 6.8 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 का बजट अगले कुछ वर्षों के लिए वृद्धि को बढ़ावा देगा। मुख्य रूप से करदाताओं को कर मोर्चे पर राहत के माध्यम से घरेलू मांग और जीडीपी की वृद्धि अब ‘टिकाऊ स्तर’ पर सामान्य स्थिति में आ रही है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार निवेश-आधारित वृद्धि और कृषि क्षेत्र में सुधारों पर अधिक ध्यान दे रही है। फुआ ने कहा, ‘फिलहाल, हमारा अनुमान है कि उपभोक्ता खर्च और सार्वजनिक निवेश अगले 2 साल में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 6.7 से 6.8 प्रतिशत के आसपास बनाए रखेंगे। आíथक वृद्धि की ये दरें, भले ही पहले की तुलना में कम हैं, लेकिन समान आय स्तरों पर भारत को अपने समकक्ष देशों से ऊपर बनाए रखेंगी। हमारा मानना है कि आयकर में कटौती के बावजूद राजस्व में वृद्धि जारी रहेगी।’ आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, भारत की आíथक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4 प्रतिशत रहेगी, जो 2023-24 के 8.2 प्रतिशत से कम है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत को ‘बीबीबी-’ रेटिंग दी है। यह सबसे कम निवेश ग्रेड की रेटिंग है।
रेटिंग पर परिदृश्य सकारात्क बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत की राजकोषीय स्थिति काफी सकारात्मक बनी हुई है और सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर राजस्व पिछले कुछ वर्षों में बढक़र वर्तमान में लगभग 12 प्रतिशत हो गया है। एसएंडपी का मानना है कि सरकार मौजूदा और अगले वित्त वर्ष के लिए क्रमश: 4.8 प्रतिशत और 4.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगी। भारत पर अमरीकी शुल्क के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, फुआ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अब भी काफी हद तक घरेलू उन्मुख है। साथ ही अमरीका को जो निर्यात हो रहा है, उसमें सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी अधिक है, जिसमें शुल्क वृद्धि की संभावना कम है।