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उत्तरकाशी सुरंग हादसा: ‘भगवान शिव कर रहे फंसे मजदूरों की रक्षा’…सोशल मीडिया पर Video Viral देख बोले लोग

नेशनल डेस्क: निर्माणाधीन सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ऊपर से की जा रही वर्टिकल ड्रिलिंग 31 मीटर तक पहुंच चुकी है। देशभर में मजदूरों के सकुशल सुरंग से बाहर आने के लिए पूजा-पाठ और हवन यज्ञ किए जा रहे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जिसे देखकर लोग कह रहे हैं कि भगवान शिव खुद मजदूरों की रक्षा कर रहे हैं और बचाव कार्य को वे सफल भी जरूर बनाएंगे।

 

दरअसल, सुरंग के ठीक बाहर स्थित बाबा बौख नाग मंदिर के पीछे स्थानीय लोगों को पानी से बनी ऐसी आकृति दिखी, जिसे देख उन्होंने दावा किया कि यह भगवान शिव की आकृति है। इसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि भगवान शिव ने रेस्क्यू वर्कर्स को इस रूप में आशीर्वाद दिया है, ताकि वे जल्द से जल्द मजदूरों को सही सलामत सुरंग से बाहर निकाल सकें।

सुरंग के बाहर विराजमान बाबा बौखनाग

बाबा बौखनाग का मंदिर ठीक उस सुरंग के बाहर है, जिसमें मजदूर फंसे हैं। जब सुरंग का निर्माण शुरू हुआ था तो मंदिर को उसकी जगह से हटाकर सुरंग के अंदर कोने में स्थापित कर दिया गया था। हालांकि, जब सुरंग हादसा हुआ तो दोबारा से बाबा बौकनाग के मंदिर को पहले वाली जगह पर स्थापित कर दिया गया है। बाबा बौखनाथ सिलक्यारा सहित क्षेत्र की तीन पट्टियों के ईष्ट देवता हैं। मंदिर के अंदर भगवान नागराज की प्रतिमा है, ऐसी मान्यता है कि बाबा बौखनाग इस इलाके के रक्षक हैं।

 

रविवार से शुरू है वर्टिकल ड्रिलिंग

ऑगर मशीन के टूटने के बाद से वर्टिकल ड्रिलिंग रविवार को ही शुरू हो गई थी। सिलक्यारा में बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे सीमा सड़क संगठन के पूर्व महानिदेशक हरपाल सिंह ने बताया कि अब तक 31 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जा चुकी है। इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को वर्टिकल तरीके से सुरंग के शीर्ष से नीचे की ओर डाला जाएगा।

 

अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा। बता दें कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसमें उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

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