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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने का किया आह्वान

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि स्थानीयता के लिए मुखरता और स्वदेशी के प्रति प्रेम समय की मांग है। श्री धनखड़ ने संसद भवन परिसर में भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों के 77 वें बैच को संबोधित करते हुए आईआरएस अधिकारियों से “देश में आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड में रहने” का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि अनावश्यक आयात भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं और रोजगार तथा उद्यमिता के अवसरों को भी प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीयता के लिए मुखर और स्वदेशी के प्रति प्रेम समय की मांग है और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1.40 अरब की आबादी के लिए हमारी कर संग्रह क्षमता काफी हद तक कम है। उन्होंने करदाताओं की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि पिछले दशक में परिवर्तनकारी कराधान सुधारों से विकास को और बढ़ावा देने के लिए कर आधार बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। श्री धनखड़ ने कहा, “एक संपूर्ण विकास यह है कि अब करदाता आश्वस्त है कि उसके कर भुगतान का राष्ट्रीय विकास के लिए पूरी तरह और इष्टतम उपयोग किया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि संभावित करदाताओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा होने के फायदों और ऐसा न होने के खतरों के बारे में अवगत करने की आवश्यकता है।

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