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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114Waqf Board Dispute : 1974 वक्फ संपत्ति गजट अधिसूचना को वापस लेने और सरकार द्वारा सत्ता के कथित दुरुपयोग की केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग को लेकर भाजपा कर्नाटक इकाई सोमवार को विरोध प्रदर्शन करेगी।
सोमवार को होने वाले विरोध प्रदर्शन में भाजपा कथित भूमि हस्तांतरण विवादों को लेकर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी.जेड. जमीर अहमद खान के इस्तीफे की भी मांग करेगी।
बेंगलुरु में भाजपा कार्यालय में शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा विधायक सीएन अश्वथ नारायण ने घोषणा की कि पार्टी अपनी मांगों को लेकर 4 नवंबर को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगी।
भाजपा कर्नाटक वक्फ बोर्ड में मौद्रिक लाभ के लिए कथित रूप से झूठे रिकॉर्ड बनाने के लिए ED और CBI से जांच की मांग कर रही है। भाजपा के मुताबिक, पिछले 50 वर्षों में बनाए गए रिकॉर्ड का इस्तेमाल अब अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है।
अश्वथ नारायण ने कहा, ‘किसान, मठ और हिंदू मंदिर कथित तौर पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस द्वारा बनाए गए वक्फ अधिनियम के दुरुपयोग के बारे में चिंतित हैं।‘उन्होंने कहा कि इससे किसानों में यह डर पैदा हो गया है कि वे अपनी जमीन खो सकते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि केवल नोटिस वापिस लेना पर्याप्त नहीं है और मांग की कि किसानों के नाम संपत्ति के रिकॉर्ड में बहाल किए जाएं और 1974 के गजट नोटिफिकेशन को निरस्त किया जाए।
शनिवार को वक्फ विवाद को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किया कि वे वक्फ भूमि के मुद्दों से संबंधित किसानों को भेजे गए सभी नोटिस तुरंत वापस लें, इस बात पर जोर देते हुए कि किसानों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
यह निर्देश राजस्व विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद दिया गया। सीएम सिद्धारमैया ने कुछ अधिकारियों द्वारा हाल ही में की गई कार्रवाई पर गहरा असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जेडीएस और भाजपा कथित तौर पर राजनीतिक लाभ के लिए वक्फ मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे कर्नाटक में शांति भंग हो सकती है।