कोड़िकोड : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि देश में विभिन्न कल्याण योजनाएं और नीतियां ‘‘गरीबों पर केंद्रित नहीं’’ हैं। चिदंबरम ने कहा कि समतावादी समाज तभी बनाया जा सकता है जब योजनाएं एवं नीतियां गरीबों पर केंद्रित हों। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) द्वारा आयोजित ‘एम पी वीरेंद्रकुमार स्मारक’ कार्यक्रम में ‘समावेशी विकास: मिथक और वास्तविकता’ विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा, कि ‘जब तक हम एक-दूसरे को प्रतिबिंबित करने वाले आर्थिक और सामाजिक अनुक्रमों को नहीं समझते और हमारी नीतियों को निचले स्तर, विशेष रूप से एससी (अनुसूचित जाति), एसटी (अनुसूचित जनजाति) और अन्य दलित वर्गों की ओर पुन: केंद्रित नहीं करते, हम एक समतावादी समाज नहीं बन पाएंगे।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि समतावादी समाज का निर्माण करके ही समावेशी विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समाज समान, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा, कि ‘ऐसा नहीं है कि यह कभी हो नहीं सकता। आप एक समतावादी समाज का निर्माण कर सकते हैं। विशुद्ध पूंजीवादी और अमीर देशों ने समतावादी समाज का निर्माण किया है।’’ पी. चिदंबरम ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा को सार्वभौमिक एवं नि:शुल्क बनाकर समतावादी समाज का निर्माण किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, कि ‘दुर्भाग्य से, समतावादी समाज की हमारी अवधारणा में सार्वभौमिक और मुफ्त स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा शामिल नहीं है। अधिकतर पश्चिमी देशों, विशेष रूप से यूरोपीय देशों में बालवाड़ी से स्नातोकतर तक शिक्षा मुफ्त है। छोटी बीमारी से लेकर बड़े ऑपरेशन तक स्वास्थ्य सेवा मुफ्त है।’’ चिदंबरम ने कहा, कि ‘इसलिए हम अपनी नीतियों को गरीब केंद्रित बनाकर एक समतावादी समाज का निर्माण कर सकते हैं।’’
पी. चिदंबरम ने बीपीएल (गरीब रेखा से नीचे के) परिवारों की महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के लिए ‘उज्जवला’ योजना के तहत गैस सिलेंडर दिए जाने का उदाहरण भी दिया और आरोप लगाया कि यह गरीब केंद्रित नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इससे मध्यम वर्ग को फायदा हुआ लेकिन गरीबों को नहीं। उन्होंने कहा, कि ‘यह इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे हमारी नीतियां गरीबों के लिए नहीं हैं। ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं।’’