रायपुरः छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए विकराल समस्या है, जिससे निपटने के लिए ‘हमें रणनीति तय कर प्रकृति को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना होगा।’ अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने आज राज्य की राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में दो दिवसीय ‘छत्तीसगढ़ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2024 की शुरूआत की।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साय ने कहा, कि जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए विकराल समस्या है। जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के कारण अनियमित वर्षा, लंबे समय तक सूखा, चक्रवाती वर्षा, वर्षा ऋतु के समय में परिवर्तन जैसी चुनौतियां पूरी दुनिया के साथ ही देश और प्रदेश के सामने भी हैं। इससे निपटने के लिए हमें रणनीति तय कर प्रकृति को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और ज्यादा सुख-सुविधाओं की ओर बढ़ रहे है। फलस्वरूप असंतुलन की स्थिति बनती है, विसंगतियां आती हैं। जलवायु परिवर्तन की चुनौती के समाधान के उपायों के संबंध में 2015 में पेरिस समझौता किया गया था। उसमें 196 देश शामिल हैं और वे अपने पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो जरूर सफल होंगे। उन्होंने इस सम्मेलन के आयोजन के लिए प्रदेश के वन विभाग और ‘छत्तीसगढ़ स्टेट सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज’ के अधिकारियों-कर्मचारियों बधाई और कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में प्रदेश की भूमिका और भविष्य की कार्ययोजनाओं के लिए यह कार्यशाला मील का पत्थर साबित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश भर से इस सम्मेलन में पहुंचे विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों द्वारा जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों और इसके प्रतिकूल प्रभावों के बारे महत्वपूर्ण जानकारियां और अनुभव साझा किए जाएंगे तथा उनके विचार-विमर्श से निकले निष्कर्ष छत्तीसगढ़ और देश के लिए उपयोगी साबित होंगे। अधिकारियों ने बताया कि इस अवसर पर राज्य के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कशय़प, अधिकारी और देश भर से आए प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने बताया कि कार्यशाला का आयोजन ‘छत्तीसगढ़ स्टेट सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज’ और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा ‘फाउन्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी’ के तकनीकी सहयोग से किया जा रहा है। इस सम्मेलन में 15 राज्यों एवं राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।