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आप भी हैं नॉनवेज…तो यह खबर है आपके लिए बेहद जरूरी, चिकन-मटन खरीदने में हो सकती है दिक्‍कत

नेशनल डेस्क: आप दिल्ली में रहते हैं और नॉनवेज खाते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। दरअसल दिल्ली में अब आपको मटन या चिकन खरीदने के लिए थोड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD) की तरफ से इसको लेकर नया प्रस्ताव आया है और इसे मंजूरी भी मिल गई है। MCD के प्रस्ताव के मुताबिक अब नॉनवेज की दुकान और धार्मिक स्थल के बीच न्यूनतम दूरी 150 मीटर तय की गई है। ये नीति आते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। मीट कारोबारियों ने फैसले के विरोध में कोर्ट तक जाने की बात कही है।

MCD के प्रस्ताव में नियम

एमसीडी की नई नीति के मुताबिक, धार्मिक स्थल और श्मशान घाट से मीट की दुकान कम से कम 150 मीटर से दूर होनी चाहिए। अगर दुकान को लाइसेंस मिलने के बाद धार्मिक स्थल अस्तित्व में आया होगा तो ये दूरी नहीं देखी जाएगी। हालांकि पॉलिसी में ये भी कहा गया है कि, मस्जिद के पास पोर्क (सूअर का मांस) छोड़कर अन्‍य सभी प्रकार के मंजूर मांस की बिक्री हो सकेगी। ऐसा तब होगा जब मस्जिद कमिटी या इमाम आवदेक को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) दे। बता दें कि, एमसीडी का ये नया नियम डिपार्टमेंट ऑफ वेटनरी सर्विसेज की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लागू होगा।

 

दुकान लाइसेंस के लिए शुल्क

मीट की दुकान के लिए अगर नया लाइसेंस चाहिए या लाइसेंस रीन्‍यू कराना है तो उन्‍हें 18000 रुपए फीस देनी होगी। वहीं प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 1.5 लाख रुपए देने होंगे। दुकानदारों के लिए ध्‍यान देने वाली बात है कि, प्रत्‍येक तीन वित्‍तीय वर्षों के बाद फीस और पेनाल्‍टी की दरों में 15 फीसदी बढ़ोतरी होगी। MCD में कहा गया कि दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के मुताबिक पॉश एरिया में मीट शॉप का 20 स्क्वायर मीटर के परिक्षेत्र में होगी। हालांकि व्‍यावसायिक क्षेत्रों में शॉप के क्षेत्रफल पर कोई बैन नहीं हैं, लेकिन अगर मीट प्रोसेसिंग प्‍लांट लगाना है तो उसका न्‍यूनतम आकार 150 स्क्वायर मीटर है।

शुरु हुआ विरोध

दिल्ली मीट मर्चेंट एसिएशन ने नए नियमों की विरोध किया है। एसोसिएशन से जुड़े एक सदस्‍य ने कहा कि एक अवैध दुकान के संचालक के लिए 2700 रुपए देना भी कठिन है ऐसे में वो रीन्‍यूवल के लिए फीस कहां से लाएगा। इस तरह या तो वो पुलिस को पैसे देगा या फिर और कोई गलत रास्‍ता निकालेगा। ऐसे में एमसीडी को राजस्व का घाटा होगा और भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा।

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