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हरियाणा सरकार शंभू बार्डर खोले, यातायात नियंत्रित करे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार से अंबाला के पास शंभू बार्डर पर लगाए गए

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार से अंबाला के पास शंभू बार्डर पर लगाए गए अवरोधक हटाने का निर्देश देते हुए राजमार्ग को अवरुद्ध करने के उसके अधिकार पर प्रश्न उठाए। अपनी विभिन्न मांगों के पक्ष में किसान 13 फरवरी से शंभू बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के पक्ष में दिल्ली की ओर बढ़ने की घोषणा की थी जिसके बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवरोधक लगा दिए थे।


जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि राज्य, हाईकोर्ट के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया में है जिसमें उसे 7 दिन के भीतर राजमार्ग खोलने का निर्देश दिया गया था। वकील द्वारा सुप्रीम कोट में अपील दायर करने के बारे में पीठ को सूचित किए जाने पर जस्टिस भुइयां ने कहा, ‘कोई राज्य राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकता है? यातायात को नियंत्रित करना उसका कर्तव्य है। हम कह रहे हैं कि इसे खोलिए, लेकिन नियंत्रित कीजिए।’


जस्टिस कांत ने राज्य के वकील से कहा, ‘आप हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों देना चाहते हैं? किसान भी इस देश के नागरिक हैं। उन्हें भोजन और अच्छी चिकित्सा सुविधा दीजिए। वे आएंगे, नारे लगाएंगे और वापस चले जाएंगे। मुङो लगता है कि आप सड़क मार्ग से यात्र नहीं करते हैं।’ इस पर वकील ने कहा कि वह भी सड़क मार्ग से ही यात्र करते हैं। पीठ ने साथ ही राज्य सरकार से लंबित मामले में हुई प्रगति पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। शीर्ष कोर्ट हरियाणा सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 7 मार्च के फैसले को चुनौती दी गई है। फैसले में फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के सुरक्षा कर्मियों के बीच झड़प के दौरान किसान शुभकरण सिंह की मौत मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था।

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