भुवनेश्वर : ओडिशा सरकार ने एक अप्रैल से राज्य में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) शुरू करने का फैसला किया है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ ही राज्य की मौजूदा गोपबंधु जन आरोग्य योजना भी जारी रहेगी। बुधवार रात मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया।
इस योजना को शुरू करने के लिए राज्य के सभी 1,438 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि इस योजना का प्रचार और प्रसार करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा। इससे पहले, ओडिशा में आयुष्मान प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के क्रियान्वयन के लिए 13 जनवरी को नयी दिल्ली में राज्य सरकार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के लिए
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और गोपबंधु जन आरोग्य योजना दोनों से राज्य में 1.03 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित होंगे। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ओडिशा में इन दोनों योजनाओं को संयुक्त रूप से लागू किया जाएगा। इन दोनों योजनाओं के लिए, प्रत्येक लाभार्थी को एक कार्ड प्रदान किया जाएगा।’’
उन्होंने बताया वय वंदना योजना (70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के लिए) के लाभार्थियों को एक अलग विशेष कार्ड मिलेगा। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लगभग 67.80 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा, जबकि गोपबंधु जन आरोग्य योजना के तहत 35.84 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित होंगे।
17 लाख लोग योजना से जुड़े हैं
इसी तरह आयुष्मान भारत वय वंदना योजना में 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को शामिल किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 23,12,979 है। हालांकि, इनमें से करीब 17 लाख लोग आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से जुड़े हैं, इसलिए शेष छह लाख लोगों को गोपबंधु जन आरोग्य योजना के तहत लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर, राज्य में लाभार्थियों की कुल संख्या करीब 3.52 करोड़ होगी।
प्रत्येक पुरुष लाभार्थी को पांच लाख रुपये तक की चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी, जबकि महिला लाभार्थी को 10 लाख रुपये तक की चिकित्सा सहायता मिलेगी। यदि किसी परिवार में 70 वर्ष से अधिक आयु के लाभार्थी हैं, तो प्रति परिवार अधिकतम चिकित्सा व्यय 15 लाख रुपये होगा। लाभार्थी देश के 29,000 से अधिक सरकारी एवं पंजीकृत निजी अस्पतालों में चिकित्सा सहायता प्राप्त कर सकेंगे।