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मणिपुर के मुख्यमंत्री ने शांति बहाल करने के लिए नगा संगठनों से सहयोग मांगा

Chief Minister N. Biren Singh

Chief Minister N. Biren Singh

इंफाल : मणिपुर के Chief Minister N. Biren Singh ने बुधवार को हिंसा प्रभावित पूवरेत्तर राज्य में शांति बहाल करने में मदद के लिए सेनापति जिले के नगा निकायों से समर्थन मांगा और कहा कि उनकी सरकार समुदायों के बीच एकता लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। पुनानमेई गांव में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘रोबवेना नी’ को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि मणिपुर पिछले 19 महीनों से कठिनाई का सामना कर रहा है और भगवान की कृपा से स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है। सिंह ने कहा, ह्लयह कार्यक्रम एकजुटता, मेलमिलाप और क्षमा के सूत्र वाक्य आधारित है, जिसकी मणिपुर में जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा, सेनापति जिले के लोगों की भूमिका बहुत बड़ी है। राज्य की एकता और अखंडता की रक्षा करने और मणिपुर के मूल समुदायों को मजबूत करने में नगा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन, सेनापति डिस्ट्रिक्ट स्टूडेंट्स एसोसिएशन, यूनाइटेड नगा काउंसिल हेडक्वाटर्स और अन्य नागरिक संस्थाओं की भूमिका बहुत बड़ी है। सिंह ने कहा कि राज्य सरकार का ‘गो-टू-हिल्स’ अभियान पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों और मैदानी क्षेत्रों के लोगों के बीच बातचीत शुरू करने के लिए आरंभ किया गया है।

संख्यात्मक रूप से कम आबादी वाले मूल निवासियों की रक्षा की जा सके
उन्होंने यह भी कहा कि अभियान का एक अन्य उद्देश्य सरकार को पहाड़ी लोगों तक पहुंचाना है। मुख्यमंत्री ने कहा, मैं आज यहां सेनापति जिले के लोगों से राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मदद मांगने आया हूं। सिंह ने जोर देकर कहा कि पहाड़ी और घाटी में समान विकास और इनके लोगों के बीच आपसी सम्मान के बिना एकीकृत मणिपुर की स्थापना करना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासियों की पहचान संवैधानिक प्रावधानों के जरिए की गई है ताकि संख्यात्मक रूप से कम आबादी वाले मूल निवासियों की रक्षा की जा सके। सिंह ने कहा, दुर्भाग्य से, इससे अवांछित घटनाएं हुईं और कई लोगों की जान चली गई तथा कई लोग बेघर हो गए। पिछले वर्ष मई से मणिपुर में मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं। मुख्यमंत्री कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हेलीकॉप्टर से नगा गांव पहुंचे, क्योंकि चुड़ाचांदपुर में कुकी जो काउंसिल ने दावा किया था कि वह उन्हें सड़क मार्ग से कांगपोकपी जिले से होकर सेनापति जाने की अनुमति नहीं देगी।

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