नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (मूडा) घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के करवाने की सहमति को वापस लेने के मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला बोला है और सिद्दारमैया के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का नैतिक आधार नहीं है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनवाला ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कर्नाटक की कांग्रेस द्वारा मूडा घोटाले की सीबीआई जांच की सहमति को वापस लेने के फैसले की आलोचना की और कहा कि सिद्दारमैया के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का नैतिक आधार नहीं है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ‘मोहब्बत की दुकान’ नहीं चला रही है, बल्कि वह ‘भ्रष्टाचार के भाईजान’, ‘मीडिया को धमकी की दुकान’ और ‘एससी समाज के राज्यपाल का अपमान करने की दुकान’ चला रही है।”
उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस जमीन से जुड़ी हुई पार्टी है, जहां-जहां वो सत्ता में आती है, वहां अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी-एसटी) की जमीन अपने रिश्तेदारों के नाम पर कर देती है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस का कार्य ही है सत्ता में आकर लूट मचाना, कर्नाटक में मूडा स्कैम के नाम पर हजारों-करोड़ों की लूट की गई और अब कांग्रेस कर्नाटक में एक पेशेवर चोर जैसा रवैया दिखा रही है।” उन्होंने कहा कि कानून से अपने आपको बचाने के लिए सीबीआई को कार्रवाई के लिए दी गई सामान्य सहमति को ही वापस ले लिया। पहले इन्होंने भ्रष्टाचार किया और जब जांच की आंच उनके पास पहुंची तो एक पेशेवर चोर की तरह कांग्रेस ने कार्रवाई की सहमति वापस ले ली है। उन्होंने कहा कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि कांग्रेस पार्टी का रवैया पहले चोरी और फिर सीना जोरी करने वाला बन गया है। कांग्रेस पार्टी का कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे देश में भ्रष्टाचार के प्रति यही रवैया बन गया है।
भाजपा नेता ने कहा, “कांग्रेस का ध्येय बन चुका है कि ‘पहले करूंगा भ्रष्टाचार, अदालत के आदेश के बाद निकालूंगा विक्टिम हुड कार्ड, मैं किसी भी तरह से एजेंसियों का करूंगा विरोध और नहीं आने दूंगा उन्हें अंदर, क्योंकि मुझे लगता है कि लूट है मेरा जन्म सिद्ध अधिकार’। लुटेरा चोर पार्टी आज एक पेशेवर चोर की तरह भाग रही है।’उन्होंने कहा, “कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर तीन स्ट्राइक लगीं, पहली राज्यपाल ने मूडा घोटाले को प्रथम दृश्य से बड़ा घोटाला बताते हुए उसकी जांच पर सहमति दी, दूसरी स्ट्राइक कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश था, तीसरी ट्राइक विशेष अदालत ने की, जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने का आदेश दिया गया। इन तीन स्ट्राइक के बावजूद मुख्यमंत्री और कांग्रेस ने तीन तरह के लक्षण दिखाए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने विवेकशील कर्मठ राज्यपाल थावरचंद गहलोत के विवेक पर सवाल उठाए, कर्नाटक कांग्रेस के एक नेता ने राज्यपाल को गाली दी, उनका अपमान किया और उन्हें मारने की धमकी दी। उच्च न्यायालय ने राज्यपाल को सही ठहराया। उच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच की मंजूरी सुनिश्चित करने में राज्यपाल ने सही फैसला किया। न्यायालय ने आदेश के पैराग्राफ 53 में कहा गया है कि अगर याचिकाकर्ता सत्ता में नहीं होता, तो उसके परिवार को ऐसे लाभ नहीं मिलते।आदेश में आगे उल्लेख किया गया कि “याचिकाकर्ता की पत्नी इन कृत्यों में लिप्त रही हैं, चाहे वह कानूनी हो या अवैध, याचिकाकर्ता को अपनी पत्नी के जीवन में क्या हो रहा है, इस बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ नहीं कहा जा सकता है।
पूनावाला ने कहा, “उच्च न्यायालय ने उल्लेख किया है कि याचिकाकर्ता मुख्यमंत्री निस्संदेह अपनी पत्नी को मिलने वाले हर लाभ के पीछे छिपे हुए हैं।लाभ प्रथमदृष्टया याचिकाकर्ता की सत्ता की स्थिति के कारण है।”