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इमामगंज कब्जा करने की कोशिश में हम, ‘लालटेन’ रोशन करने की जद्दोजहद में राजद

गया। बिहार विधानसभा उपचुनाव में हाइप्रोफाइल इमामगंज (सुरक्षित) सीट पर जहां हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) एक बार फिर से कब्जा बरकरार रखने की कोशिश में है वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी की ‘लालटेन’ को रोशन करने की जद्दोजहद में है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतन राम मांझी ने वर्ष 2015 और वर्ष 2020 लगातार दो बार इमामगंज सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार के आमचुनाव में जीतन राम मांझी ने गया (सु) से जीत हासिल की और पहली बार सांसद बनें। मांझी के सांसद बनने के बाद रिक्त हुयी इमागगंज (सु) क्षेत्र में 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे। महागठबंधन के घटक दल राजद ने इमामगंज (सु) सीट से रौशन कुमार को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। वहीं इमामगंज (सु) सीट से केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी बहू और राज्य सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा मांझी को (हम) का उम्मीदवार बनाया है। दीपा मांझी पर इमामंगज (सु) सीट को जीतने की चुनौती के साथ हीं इस सीट पर पार्टी का कब्जा बरकरार रखने की भी चुनौती है। वहीं राजद प्रत्याशी रौशन कुमार इमामगंज (सु) पर पार्टी का ‘लालटेन ’ रौशन करने की फिराक में हैं। वर्ष 1990 में इस सीट पर हुये चुनाव में लालू प्रसाद यादव की पूर्ववर्ती पार्टी जनता दल के टिकट पर उदय नारायण चौधरी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद से अबतक हुये इस सीट पर हुये चुनाव में लालू यादव की पार्टी जनता दल, या राष्ट्रीय जनता दल किसी ने जीत हासिल नहीं की है। इस तरह राजद के रौशन कुमार यहां पार्टी की ‘लालटेन’ रौशन करने के प्रयास में लगे हैं।

इमामगंज विधानसभा सीट का गठन वर्ष 1957 में हुआ। पहली बार इस सीट पर हुये चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी अंबिका प्रसाद सिंह ने कांग्रेस की चंद्रावती देवी को पराजित किया था। वर्ष 1962 में अंबिका प्रसाद सिंह ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के जगलाल महतो को परास्त किया। वर्ष 1967 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दी गई। वर्ष 1967 में कांग्रेस के टिकट पर डी.राम ने जीत हासिल की। वर्ष 1969 में इस सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के ईश्वर दास ने जीत का परचम लहराया था।

इसके बाद वर्ष 1972 में कांग्रेस के अवधेश्वर राम निर्वाचित हुये। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के ईश्वर दास विजयी रहे। 1980 इंदिरा कांग्रेस के श्रीचंद सिंह विधायक चुने गये। वर्ष 1985 में श्रीचंद सिंह कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार निर्वाचित हुये।वर्ष 1990 में जनता दल के टिकट पर उदय नारायण चौधरी निर्वाचित हुये। वर्ष 1995 में समता पार्टी प्रत्याशी रामस्वरूप पासवान विधायक चुने गये। उन्होंने जनता दल उम्मीदवार उदय नारायण चौधरी को पठखनी दे दी। इसके बाद हुये अगले चार चुनाव में श्री चौधरी का कब्जा इमामगंज सीट पर बरकरार रहा। वर्ष 2000 में उदय नारायण चौधरी ने समता पार्टी, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और वर्ष 2010 में उन्होंने जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के टिकट पर जीत हासिल की। वर्ष 2015 के चुनाव में हम उम्मीदवार जीतन राम मांझी ने जदयू उम्मीदवार उदय नारायण चौधरी को पराजित कर उनके विजयी रथ को रोक दिया। श्री मांझी ने जदयू प्रत्याशी उदय नारायाण चौधरी को 29408 मतों के अंतर से मात दी थी। वर्ष 2020 के चुनाव में सियासी समीकरण बदल गये। कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सिपहसालार रहे श्री चौधरी जदयू का साथ छोड़कर राजद का ‘लालटेन’ थाम चुके थे।

दीपा मांझी ने कहा कि यह हमारे लिए सुनहरा अवसर है कि हमें इमामगंज की जनता का सेवा करने का मौका मिलेगा। हमारे ससुर जीतन राम मांझी केंद्रीय मंत्री है, ऐसे में उनका जो विभाग है उससे यदि इमामगंज की जनता को कोई रोजगार मिलता है, तो इसके लिए हम वृहत पैमाने पर प्रयास करेंगे।इमामगंज की जनता की सेवा के लिए हम सदैव तत्पर हैं।सिर्फ हमारे ऊपर ही परिवारवाद का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि अन्य पार्टियों में भी कई ऐसे नेता है जिनके पुत्र या रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई कुछ नहीं कहता है। सिर्फ हमारे परिवार के ऊपर ही लोग परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं, यह कहीं से भी सही नहीं है।उन्होंने कहा कि हमारे माता-पिता भी स्वयंसेवी संस्था चलाते थे, उस समय भी हम जनता की सेवा में रहते थे। आगे भी हमसे जितना पड़ेगा, हम सेवा करेंगे। हम जिला पार्षद भी चुके हैं, इसके अलावा भी हमने निकाय चुनाव लड़ा है, ऐसे में हमें राजनीतिक अनुभव भी है। हमें उम्मीद है इमामगंज की जनता का आशीर्वाद हमें मिलेगा और हम इमामगंज में विकास का कार्य करेंगे।

दीपा मांझी की मां ज्योति मांझी बाराचट्टी की विधायक, ससुर जीतन राम मांझी केंद्रीय मंत्री और पति संतोष कुमार मंत्री हैं। अब ससुर और पति के मंत्रलय के सहारे बहू दीपा मांझी मतदाताओं को रिझाने में जुटी हैं। चुनाव प्रचार में सभी परिवार जुटे हैं।अपने ससुर के तैयार राजनीतिक विरासत में दीपा मांझी विधानसभा उपचुनाव में भाग्य आजमा रही हैं।

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