अमृतसर: सांसद गुरजीत सिंह औजला ने संसद में अमृतसर को मैडीकल हब बनाने की आवाज उठाई। उन्होंने एडमिनिस्ट्रेशन पर नकेल कसने और अमृतसर में अस्पतालों में सुविधा की जांच के लिए एक कमेटी भेजने को भी कहा, क्योंकि अमृतसर रेलवे, हवाई और रोड हर तरफ से पहुंच के लिए सक्षम है। औजला ने मिनिस्ट्री आफ फैमिली एंड हैल्थ वेलफेयर के तहत शुरु आत करते हुए कहा कि एक तरफ देश को विश्वगुरु बनाने की बात हो रही है वहीं दूसरी तरफ देश की जीडीपी का सिर्फ 2.5 प्रतिशत बजट स्वास्थय के लिए रखा गया है। एक सेहतमंद शरीर में ही सेहतमंद दिमाग का निवास होता है। यह बेहद कम है और इसे बढ़ाना चाहिए। क्योंकि इंडिया की वर्कफोर्स 1000 के पीछे सिर्फ सात है जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 17 है। बाकी चीजों के साथ साथ आने वाले भविष्य के स्वास्थय को ठीक रखना ज्यादा जरूरी है। औजला ने कहा कि अमृतसर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेल, सड़क और हवाई यात्ना के जरिए कनेक्टेड है। वहां मैडिकल टूरिज्म सिटी बन सकती है। पहले लोग पाकिस्तान से इलाज करवाने के लिए भारत आते थे। इससे लोगों का भला भी होगा और अमृतसर के लोगों को रोजगार मिलेगा। अगर अमृतसर मेडिकल सिटी बन जाए तो सबको फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि अमृतसर के आस-पास गुरदासपुर, पठानकोट जम्मू तक 80 लाख की आबादी कनेक्ट करती है। पूर्व वित्त मंत्नी अरु ण जेतली ने अमृतसर के लिए एम्ज़ का वादा किया था लेकिन अकाली-बीजेपी की सरकार ने उसे बठिंडा में शिफ्ट कर दिया जहां सहूलतें भी नहीं हैं। इसीलिए अमृतसर में एम्ज़ या फिर पीजीआई जैसा एक अस्पताल दिया जाए।
औजला ने अमृतसर के मैडिकल कालेज और श्री गुरु नानक देव अस्पताल की दयनीय हालत पर 100 साल पुराने अस्पताल से कई अंतरराष्ट्रीय डाक्टर्स निकले हैं और उन्होंने खुद 2017 में जब वह जीते थे वहां कई सुविधाएं मुहैया करवाई हैं लेकिन अभी भी वहां बहुत कुछ सुधार की जरु रत है। जब मैडिकल कालेज बना था तो वहां 600 ग्रुप डी की पोस्टें थीं लेकिन इस समय सिर्फ 200 पोस्ट ही हैं। बेहद दुख की बात है कि वहां एक पढ़ा लिखा डाक्टर कभी लाइटें ठीक करवा रहा है, कभी सफाई करवा रहा है तो कभी अन्य दर्जा चार कर्मचारियों की ओर से करवाए जाने वाले काम देख रहा है।
उन्होंने कहा कि वहां एक अच्छी कमेटी भेजी जाए और एडमिनिस्ट्रेटर हो क्योंकि जब यह काम एक डाक्टर को करवाने पड़ते हैं तो वह मरीजों के साथ न्याय नहीं कर पाता। बेबे नानकी वार्ड में गायनी, बच्चों के डाक्टर की कमी है, जब स्पेशेलिस्ट की जरु रत पड़ती है तो फिर फरीदकोट भेजना पड़ता है। उन्होंने स्टेट कैंसर इंस्टीच्यूट को भी जल्द से जल्द लोगों के हवाले करने की गुजारिश की। अमृतसर का टीवी अस्पताल 75 साल पहले बना था और उसकी हालत बेहद दयनीय है। नोर्थ रीज़न का पहला टीबी अस्पताल था जिसकी बिल्डिंग अब दोबारा बननी चाहिए। ईएसआई अस्पताल में भी चल रहे माफिया पर नकेल कसने की जरु रत है जो कि मरीजों को श्री गुरु नानक अस्पताल ना भेजकर प्राइवेट अस्पताल भेजते हैं।
सांसद औजला ने संसद में आशा वर्करों को मिल रही मामूली तन्खाह पर भी बात की और कहा कि अगर आज गांवों में सेहत सुविधाएं पहुंच रही हैं तो उसके लिए आशा वर्करों की मेहनत है। इसीलिए उनकी तन्खवाह को बढ़ाना चाहिए। डाक्टर्स का भी वेतन उतना होना चाहिए कि वो प्राइवेट प्रेक्टिस न करके वेतन में ही अपना गुजारा अच्छे से कर सकें। औजला एडमिनिस्ट्रेटर विभाग पर भी नकेल कसने की बात की। उन्होंने कहा कि नकली दवाइयां, नकली खाद और ड्रग्स और वातावरण, इन पर सबपर एक साथ कंट्रोल नहीं किया जा सकता। नकली खाद पदार्थ के लिए डीएचओ को क्यों सस्पेंड नहीं किया जाता वहीं इन चीजों को ठीक करने के लिए आईएएस, स्टेट सेक्रट्ररी को जवाबदेह क्यों नहीं बनाया जाता है। असली बिमारी की जड़ एडमिनिस्टेटर है इसीलिए इस विभाग पर ध्यान देने की जरु रत है।
औजला ने तुंग ढाब ड्रेन या गंदे नाले पर बात करते हुए कहा कि इससे लोगों के डीएनए खत्म हो रहे हैं। बीमारियां लग रही हैं और जब उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष सवाल उठाया तो जवाब मिला कि गंदे नाले की साफ सफाई रख रखाव राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। जो लोग इसके कारण बिमारी से ग्रस्त हैं उनका क्या कसूर है। इसीलिए एक कमेटी भेजी जाए तो विजिट करे, ग्रामीण एरिया में भी देखे, श्री गुरु नानक देव अस्पताल में भी जाए और एक रिपोर्ट तैयार करे फिर उसके हिसाब से बजट तैयार करे और फंड रिलीज़ करे क्योंकि राज्य सरकार के पास फंड नहीं है।