Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rocket domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114
भाकपा (माओ) की केंद्रीय कमेटी ने 2 माओवादी नेताओं जोसेफ और संजीत को किया बर्खास्त  - Dainik Savera Times | Hindi News Portal
विज्ञापन

भाकपा (माओ) की केंद्रीय कमेटी ने 2 माओवादी नेताओं जोसेफ और संजीत को किया बर्खास्त 

पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण कम्युनिस्ट पार्टी के 2 नेता बर्खास्त

- विज्ञापन -

भाकपा (माओ) की केंद्रीय कमेटी ने 2 माओवादी नेताओं जोसेफ और संजीत को बर्खास्त कर दिया है। माओवादी प्रवक्ता अभय ने जानकारी दी कि दोनों ही 80 के दशक में पार्टी ज्वाइन किया था। जोसेफ पंजाब, संजीत बिहार के प्रभारी रहे। भाकपा ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) को उनकी पार्टी विरोधी गुटबाजी पूर्ण गतिविधियों के चलते पार्टी सदस्यता रद्द करते हुए, सभी जिम्मेवारियों से हटाते हुए पार्टी से बर्खास्त करने की भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी घोषणा करती है।

कामरेड जोसेफ पूर्ववर्ति भाकपा (माले) (पार्टी यूनिटी) में 80 के दशक में शामिल हुए और पंजाब की राज्य कमेटी सदस्य रहे। जबकि कामरेड संजीत भी 80 के दशक में ही भाकपा (माले) (पार्टी यूनिटी) में शामिल हुए और बिहार राज्य कमेटी सदस्य भी बने। बाद की प्रक्रिया में भाकपा (माओवादी) बनी और ये दोनों कामरेड उसमें शामिल हुए और केन्द्रीय कमेटी के मार्गदर्शन में जिम्मेवारियां लेकर काम करते आए हैं। दोनों का पार्टी की बुनियादी लाइन से मतांतर था जो बाद में ढुलमुलपन में तबदील हुआ। वे पार्टी की इलाकावार सत्ता दखल करने, आधार इलाका निर्माण करने की दीर्घकालीन जनयुद्ध की लाइन पर भिन्न मत रखते थे। उनमें कानूनी और खुले जनसंगठन तक सीमित रहकर और कानूनवाद में डूबकर काम करने का गलत रुझान था।

उन्हें पार्टी लाइन से मजबूती से जोड़े रखने के लिए पार्टी की ओर से राजनीतिक अध्ययन कक्षाएं व चर्चाएं आयोजित की गई। लेकिन उनकी समझ और व्यवहार में कोई खास बदलाव दिखलाई नहीं दिया। दुश्मन के भीषण हमले में एनआरबी के भंग होने की परिस्थिति में उन्होंने सीसी से सम्पर्क रखकर मार्गदर्शन लेने की बजाय पार्टी लाइन से हटकर व्यक्तिगत तौर पर मनमर्जी से काम करते रहे।

Latest News